Maruti Stotram
मारुति स्तोत्र, जिसे “भीमरूपी महारुद्र” के नाम से भी जाना जाता है, भगवान हनुमान की शक्ति, वीरता और अटूट भक्ति को समर्पित एक अत्यंत प्रसिद्ध स्तोत्र है। इसकी रचना 17वीं शताब्दी में महान संत समर्थ रामदास स्वामी द्वारा की गई थी। यह स्तोत्र हनुमान जी के विविध स्वरूपों, उनके अतुलनीय बल, ज्ञान और समर्पण भाव का सजीव चित्रण करता है। संस्कृत और मराठी दोनों भाषाओं में उपलब्ध यह स्तोत्र विशेष रूप से महाराष्ट्र में व्यापक रूप से पढ़ा और गाया जाता है। इसका नियमित पाठ भक्तों में आत्मबल, साहस और आत्मनियंत्रण को बढ़ावा देता है।
श्री मारुति स्तोत्रम्
ॐ नमो भगवते विचित्रवीरहनुमते प्रलयकालानलप्रभाप्रज्वलनाय।
प्रतापवज्रदेहाय। अंजनीगर्भसंभूताय।
प्रकटविक्रमवीरदैत्यदानवयक्षरक्षोगणग्रहबंधनाय।
भूतग्रहबंधनाय। प्रेतग्रहबंधनाय। पिशाचग्रहबंधनाय।
शाकिनीडाकिनीग्रहबंधनाय। काकिनीकामिनीग्रहबंधनाय।
ब्रह्मग्रहबंधनाय। ब्रह्मराक्षसग्रहबंधनाय। चोरग्रहबंधनाय।
मारीग्रहबंधनाय। एहि एहि। आगच्छ आगच्छ। आवेशय आवेशय।
मम हृदये प्रवेशय प्रवेशय। स्फुर स्फुर। प्रस्फुर प्रस्फुर। सत्यं कथय।
व्याघ्रमुखबंधन सर्पमुखबंधन राजमुखबंधन नारीमुखबंधन सभामुखबंधन
शत्रुमुखबंधन सर्वमुखबंधन लंकाप्रासादभंजन। अमुकं मे वशमानय।
क्लीं क्लीं क्लीं ह्रुीं श्रीं श्रीं राजानं वशमानय।
श्रीं हृीं क्लीं स्त्रिय आकर्षय आकर्षय शत्रुन्मर्दय मर्दय मारय मारय
चूर्णय चूर्णय खे खे
श्रीरामचंद्राज्ञया मम कार्यसिद्धिं कुरु कुरु
ॐ हृां हृीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः फट् स्वाहा
विचित्रवीर हनुमत् मम सर्वशत्रून् भस्मीकुरु कुरु।
हन हन हुं फट् स्वाहा॥
एकादशशतवारं जपित्वा सर्वशत्रून् वशमानयति नान्यथा इति॥
इति श्रीमारुतिस्तोत्रं संपूर्णम्॥
इस स्तोत्र के लाभ क्या है?
- शारीरिक बल और मानसिक साहस में वृद्धि होती है।
- हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
- भय, रोग और नकारात्मकता का नाश होता है।
- घर में सकारात्मक ऊर्जा और शांति बनी रहती है।
- संकट काल में मार्गदर्शन और रक्षा मिलती है।
इस स्तोत्र इतिहास और महत्व क्या है?
मारुति स्तोत्र की रचना महाराष्ट्र के संत समर्थ रामदास स्वामी ने की थी, जो छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरु भी थे। उन्होंने इसे हनुमान जी के पराक्रम और भक्तों की रक्षा हेतु लिखा। आज भी यह स्तोत्र कई अखाड़ों और मंदिरों में नियमित रूप से पढ़ा जाता है।
इस स्तोत्र का श्रेष्ठ समय और विधि क्या है?
मारुति स्तोत्र का पाठ प्रातःकाल या संध्या के समय, स्नान कर के स्वच्छ वस्त्र पहनकर किया जाना चाहिए। हनुमान जी की मूर्ति या चित्र के समक्ष दीपक जलाकर स्तोत्र का पाठ करें। इच्छानुसार इसे 11, 21 या 108 बार जप सकते हैं।
इस स्तोत्र को कौन पढ़ सकता है?
यह स्तोत्र कोई भी व्यक्ति पढ़ सकता है – विशेष रूप से वे लोग जो मानसिक तनाव, भय, या आत्मविश्वास की कमी से जूझ रहे हों। विद्यार्थी, खिलाड़ी, साधक और संघर्षरत लोग इसके प्रभाव को विशेष रूप से अनुभव करते हैं।
बीज मंत्र
- ॐ हनुमते नमः
- ॐ रामदूताय नमः
- ॐ बजरंगबलीाय नमः
मारुति स्तोत्र से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्रश्न 1: मारुति स्तोत्र क्या है?
उत्तर: यह भगवान हनुमान की महिमा का वर्णन करने वाला एक प्रसिद्ध स्तोत्र है, जिसे संत समर्थ रामदास स्वामी ने रचा था।
प्रश्न 2: मारुति स्तोत्र कब पढ़ना चाहिए?
उत्तर: प्रातःकाल या संध्या के समय, स्नान कर के स्वच्छ वस्त्र पहनकर, हनुमान जी की मूर्ति या चित्र के समक्ष दीपक जलाकर इसका पाठ करना चाहिए। मंगलवार और शनिवार को इसका पाठ विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।
प्रश्न 3: मारुति स्तोत्र पढ़ने से क्या लाभ होता है?
उत्तर: इसके पाठ से शारीरिक और मानसिक बल में वृद्धि होती है, भय और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है, रोगों से राहत मिलती है, एकाग्रता और सफलता में वृद्धि होती है, और जीवन में सुख-शांति और विजय प्राप्त होती है।
प्रश्न 4: क्या कोई भी व्यक्ति मारुति स्तोत्र पढ़ सकता है?
उत्तर: हां, कोई भी स्त्री या पुरुष, किसी भी उम्र का व्यक्ति इसे पढ़ सकता है। विशेष रूप से विद्यार्थी, खिलाड़ी, साधक और मानसिक तनाव से जूझ रहे लोग इससे लाभान्वित होते हैं।
प्रश्न 5: मारुति स्तोत्र के साथ कौन-से मंत्र बोले जा सकते हैं?
उत्तर: पाठ के साथ निम्नलिखित बीज मंत्रों का जाप लाभदायक होता है:
- ॐ हनुमते नमः
- ॐ रामदूताय नमः
- ॐ बजरंगबलीाय नमः