Annapurna Stotram
अन्नपूर्णा स्तोत्र एक अत्यधिक प्रसिद्ध वैदिक स्तुति है, जिसे आदि शंकराचार्य ने देवी अन्नपूर्णा की महिमा का वर्णन करने के लिए रचा था। इस स्तोत्र में 12 श्लोक होते हैं, जिनमें देवी अन्नपूर्णा को भोजन और समृद्धि की देवी के रूप में पूजा गया है। कहा जाता है कि अगर इस स्तोत्र का नियमित पाठ किया जाए, तो जीवन में अन्न, धन और शांति की कोई कमी नहीं रहती, और घर में संतोष, सुख और भक्ति का वातावरण बनता है।
अन्नपूर्णा स्तोत्र
ॐ जयन्ती मङ्गलाली शिवे सर्वार्थ साधिके |
दर्शणात् पूरितं सर्वं हरेः प्रियं पतिं प्रिये ||
अन्नपूर्णे सदापूर्णे शंकरप्राणवल्लभे |
ज्ञानविज्ञानसंपन्ने सदात्मा देहि मे दया ||
नित्यानन्दकरी वराभयकरी सौंदर्यरत्नाकरी |
निर्धूताखिल-घोरपावनकरी प्रत्यक्षमाहेश्वरी ||
प्रालेयाचल-वंशपावनकरी काशीपुराधीश्वरी |
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपुर्णेश्वरी॥ 1 ॥
नानारत्नविचित्रभूषणकरी हेमाम्बराडम्बरी |
मुक्ताहारविलम्बमानविलसद्वक्षोजकुम्भान्तरी ||
काश्मीरागुरुवासिता रुचिकरी काशीपुराधीश्वरी |
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपुर्णेश्वरी॥ 2 ॥
योगानन्दकरी रिपुक्षयकरी धर्मार्थनिष्ठाकरी |
चन्द्रार्कानलभासमानलहरी त्रैलोक्यरक्षाकरी ||
सर्वैश्वर्यसमस्तवांछितकरी काशीपुराधीश्वरी |
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपुर्णेश्वरी॥ 3 ॥
कैलासाचल-कन्दरालयकरी गौरी उमा शंकरि |
कौमारी निगमार्थगोचरकरी ओंकारबीजाक्षरी ||
मोक्षद्वार-कपाट-पाटनकरी काशीपुराधीश्वरी |
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपुर्णेश्वरी॥ 4 ॥
दृश्याऽदृश्य-प्रभूतवाहनकरी ब्रह्माण्डभाण्डोदरी |
लीलानाटकसूत्रभेदनकरी विज्ञानदीपांकुरी ||
श्री विश्वेशमन प्रसादनकरी काशीपुराधीश्वरी |
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपुर्णेश्वरी॥ 5 ॥
उर्वी सर्वजनेश्वरी भगवती माताऽन्नपूर्णेश्वरी |
वेणीनील-समान-कुन्तलहरी नित्यान्नदानेश्वरी ||
सर्वानन्दकरी दृशां शुभकरी काशीपुराधीश्वरी |
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपुर्णेश्वरी॥ 6 ॥
आकाशमणिक्य-जालिनी प्रचण्डप्रेरक-शक्ति |
परं देवि काशीपति-मूर्तिकायां परमेश्वरी ||
अन्नं धनं जीवनं स्वस्ति-जन-वीर्यं तथा ||
दायिन्या विभुर्भवति माताऽन्नपूर्णेश्वरी॥ 7 ॥
वृषारूढां महाक्रूर-शंकर-भगवति स्वधाम |
प्रदा देवी काशीपुराधीश्वरी एकान्त-शरण ||
प्रणम्यं प्रतिश्रुत्यं तत्त्वं ज्ञानमायां बरेथि ||
श्री-दक्षिणा-महाक्रांतां निःसन्देह-मणिप्रदा॥ 8 ॥
शांतीमया चि चिदानन्द-मयी भक्ति-युग-प्रभवेत् |
राक्षस-मालिन्या विलिंगी तस्या महिमाम्||
सर्वा अन्नपूर्णा सदा सकलोपकृत्यं संसारधर्म-प्राप्ति॥ 9 ॥
॥इति श्री अन्नपूर्णा स्तोत्रं सम्पूर्णम्॥
अन्नपूर्णा स्तोत्र के पाठ से क्या लाभ मिलते हैं?
- देवी की कृपा से जीवन में कभी अन्न और धन की कमी नहीं रहती।
- पारिवारिक सुख-शांति और संतुलन बना रहता है।
- आर्थिक कठिनाइयों और दरिद्रता से मुक्ति मिलती है।
- मानसिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है।
- भक्तों की मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और आत्मिक उन्नति का मार्ग खुलता है।
इस स्तोत्र का पाठ कब और कैसे करना चाहिए?
- शुक्रवार के दिन प्रातः स्नान करके, साफ वस्त्र पहनकर और दीपक जलाकर इसका पाठ करना अत्यंत शुभ माना गया है।
- नवरात्रि, अन्नपूर्णा जयंती, अक्षय तृतीया जैसे पावन अवसरों पर इसका पाठ विशेष फलदायक होता है।
- देवी अन्नपूर्णा की मूर्ति या चित्र के समक्ष बैठकर शांत और एकाग्र मन से स्तोत्र का पाठ करें।
कौन लोग अन्नपूर्णा स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं?
- यह स्तोत्र हर वर्ग, हर उम्र के व्यक्ति पढ़ सकते हैं – चाहे वे गृहस्थ हों या साधक।
- जिनके जीवन में भोजन की कमी, आर्थिक संकट या मानसिक बेचैनी हो, उन्हें इसका नियमित पाठ अवश्य करना चाहिए।
- जो लोग आध्यात्मिक प्रगति के इच्छुक हैं, उनके लिए भी यह स्तोत्र अत्यंत उपयोगी है।
बीज मंत्र
- ॐ अन्नपूर्णायै नमः
- ॐ श्री अन्नपूर्णेश्वरी नमः
- ॐ अन्नपूर्णा देवि नमः
- ॐ अन्नपूर्णा पराशक्ति नमः
- ॐ अन्नपूर्णा महेश्वरी नमः
इस स्तोत्र से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. अन्नपूर्णा स्तोत्र आखिर क्यों इतना खास माना जाता है?
उत्तर: अन्नपूर्णा स्तोत्र सिर्फ एक स्तुति नहीं, बल्कि माँ अन्नपूर्णा के प्रति भक्त का प्रेम और विश्वास है। आदि शंकराचार्य द्वारा रचित यह स्तोत्र जीवन में अन्न, धन और संतुलन बनाए रखने की भावना से जुड़ा है। इसका पाठ घर-परिवार में सकारात्मक ऊर्जा और संतोष का संचार करता है।
2. क्या इस स्तोत्र के पाठ से सच में धन और अन्न की प्राप्ति होती है?
उत्तर: हाँ, जनमानस की आस्था और अनुभव यही कहते हैं कि इसका नियमित पाठ जीवन में स्थिरता और समृद्धि लाता है। यह न केवल आर्थिक समस्याओं से राहत देता है, बल्कि मानसिक रूप से भी बहुत सुकून देता है।
3. क्या कोई विशेष विधि है जिससे इसका पाठ करना चाहिए?
उत्तर: सुबह स्नान के बाद साफ वस्त्र पहनकर शांत मन से देवी अन्नपूर्णा की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक और अगरबत्ती जलाकर स्तोत्र पढ़ा जाए, तो सर्वोत्तम फल मिलता है। शुक्रवार या विशेष पर्वों पर इसका पाठ और भी शुभ होता है।
4. क्या यह स्तोत्र सिर्फ महिलाएं ही पढ़ सकती हैं?
उत्तर: नहीं, यह स्तोत्र सभी के लिए है — चाहे महिला हों या पुरुष, युवा हों या वृद्ध। माँ अन्नपूर्णा सबकी जननी हैं, और उनकी कृपा पाने का अधिकार हर श्रद्धालु को है।
5. अगर समय कम हो तो क्या बीज मंत्रों का जाप पर्याप्त है?
उत्तर: जी हाँ, बीज मंत्र भी अत्यंत प्रभावशाली होते हैं। अगर समय कम हो, तो इन मंत्रों का श्रद्धा से जाप करें, जैसे:
- ॐ अन्नपूर्णायै नमः
- ॐ अन्नपूर्णा महेश्वरी नमः
- ॐ अन्नपूर्णा पराशक्ति नमः
- ॐ श्री अन्नपूर्णेश्वरी नमः
- ॐ अन्नपूर्णा नमो नमः