Pashupatastra Stotra – शत्रुनाश, रक्षा और सिद्धि एक स्तोत्र में!

Pashupatastra Stotra in Hindi

पाशुपतास्त्र स्तोत्र भगवान शिव को समर्पित एक अत्यंत शक्तिशाली स्तुति है, जो शिव के दिव्य अस्त्र “पाशुपतास्त्र” की महिमा का वर्णन करती है। इसका नियमित पाठ साधक को मानसिक शक्ति, आत्मविश्वास, भय से मुक्ति और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा प्रदान करता है। यह स्तोत्र विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो जीवन में कठिन परिस्थितियों, शत्रुओं या आंतरिक संघर्षों से जूझ रहे हैं। ध्यानपूर्वक और श्रद्धा से इसका जाप करने से जीवन में स्थिरता और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

श्री पाशुपतास्त्र स्तोत्रम्

ॐ नमो भगवते महापाशुपतायातुलबलवीर्यपराक्रमाय त्रिपन्चनयनाय नानारुपाय नानाप्रहरणोद्यताय सर्वांगडरक्ताय भिन्नांजनचयप्रख्याय श्मशान वेतालप्रियाय सर्वविघ्ननिकृन्तन रताय सर्वसिध्दिप्रदाय भक्तानुकम्पिने असंख्यवक्त्रभुजपादाय तस्मिन् सिध्दाय वेतालवित्रासिने शाकिनीक्षोभ जनकाय व्याधिनिग्रहकारिणे पापभन्जनाय सूर्यसोमाग्नित्राय विष्णु कवचाय खडगवज्रहस्ताय यमदण्डवरुणपाशाय रूद्रशूलाय ज्वलज्जिह्राय सर्वरोगविद्रावणाय ग्रहनिग्रहकारिणे दुष्टनागक्षय कारिणे ।

ॐ कृष्णपिंग्डलाय फट । हूंकारास्त्राय फट । वज्र हस्ताय फट । शक्तये फट । दण्डाय फट । यमाय फट । खडगाय फट । नैऋताय फट । वरुणाय फट । वज्राय फट । पाशाय फट । ध्वजाय फट । अंकुशाय फट । गदायै फट । कुबेराय फट । त्रिशूलाय फट । मुदगराय फट । चक्राय फट । पद्माय फट । नागास्त्राय फट । ईशानाय फट । खेटकास्त्राय फट । मुण्डाय फट । मुण्डास्त्राय फट । काड्कालास्त्राय फट । पिच्छिकास्त्राय फट । क्षुरिकास्त्राय फट । ब्रह्मास्त्राय फट । शक्त्यस्त्राय फट । गणास्त्राय फट । सिध्दास्त्राय फट । पिलिपिच्छास्त्राय फट । गंधर्वास्त्राय फट । पूर्वास्त्रायै फट । दक्षिणास्त्राय फट । वामास्त्राय फट । पश्चिमास्त्राय फट । मंत्रास्त्राय फट । शाकिन्यास्त्राय फट । योगिन्यस्त्राय फट । दण्डास्त्राय फट । महादण्डास्त्राय फट । नमोअस्त्राय फट । शिवास्त्राय फट । ईशानास्त्राय फट । पुरुषास्त्राय फट । अघोरास्त्राय फट । सद्योजातास्त्राय फट । हृदयास्त्राय फट । महास्त्राय फट । गरुडास्त्राय फट । राक्षसास्त्राय फट । दानवास्त्राय फट । क्षौ नरसिन्हास्त्राय फट । त्वष्ट्रास्त्राय फट । सर्वास्त्राय फट । नः फट । वः फट । पः फट । फः फट । मः फट । श्रीः फट । पेः फट । भूः फट । भुवः फट । स्वः फट । महः फट । जनः फट । तपः फट । सत्यं फट । सर्वलोक फट । सर्वपाताल फट । सर्वतत्व फट । सर्वप्राण फट । सर्वनाड़ी फट । सर्वकारण फट । सर्वदेव फट । ह्रीं फट । श्रीं फट । डूं फट । स्त्रुं फट । स्वां फट । लां फट । वैराग्याय फट । मायास्त्राय फट । कामास्त्राय फट । क्षेत्रपालास्त्राय फट । हुंकरास्त्राय फट । भास्करास्त्राय फट । चंद्रास्त्राय फट । विघ्नेश्वरास्त्राय फट । गौः गां फट । स्त्रों स्त्रौं फट । हौं हों फट । भ्रामय भ्रामय फट । संतापय संतापय फट । छादय छादय फट । उन्मूलय उन्मूलय फट । त्रासय त्रासय फट । संजीवय संजीवय फट । विद्रावय विद्रावय फट । सर्वदुरितं नाशय नाशय फट ।

इस स्तोत्र का इतिहास और उत्पत्ति क्या है?

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, अर्जुन ने भगवान शिव की घोर तपस्या कर पाशुपतास्त्र प्राप्त किया था। यह अस्त्र इतना शक्तिशाली था कि इससे सम्पूर्ण सृष्टि को भी नष्ट किया जा सकता था। केवल महान तपस्वियों या योग्य योद्धाओं को ही इसकी प्राप्ति होती थी और इसका उपयोग केवल अत्यधिक आवश्यकता पड़ने पर ही किया जा सकता था। यह दिव्य अस्त्र भगवान शिव की अनंत शक्ति और नियंत्रण का प्रतीक है।

इस स्तोत्र को पढ़ने का सबसे अच्छा समय क्या है?

पाशुपतास्त्र स्तोत्र का पाठ प्रातः ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) या संध्या समय (शाम 6 से 8 बजे) करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। इन समयों में वातावरण शांत होता है और साधक की एकाग्रता अधिक होती है। हालांकि, श्रद्धा और नियमितता के साथ इसे किसी भी समय पढ़ा जा सकता है।

यह स्तोत्र कौन पढ़ सकता है?

यह स्तोत्र कोई भी व्यक्ति पढ़ सकता है – चाहे वह किसी भी उम्र, लिंग या पृष्ठभूमि से हो। विशेष रूप से यह उन लोगों के लिए लाभदायक है जो नकारात्मकता, मानसिक दबाव या शत्रुओं के भय से पीड़ित हैं। यदि कोई व्यक्ति इसकी उन्नत साधना करना चाहता है तो किसी गुरु से मार्गदर्शन लेना शुभ होता है।

बीज मंत्र

  • ॐ महापाशुपताय विद्महे, महाशिवाय धीमहि, तन्नो पाशुपतिः प्रचोदयात्।
  • ॐ ह्लीं पाशुपताय नमः।
  • ॐ ह्लीं ह्लीं पाशुपताय नमः।
  • ॐ शिवाय महाक्रूरी महापाशुपताय विद्महे, पाशुपतस्त्राय प्रचोदयात्।

इस स्तोत्र के लाभ क्या है?

  • यह स्तोत्र बुरी नजर, तंत्र-मंत्र, भय और दुश्मनों की बुरी योजनाओं से रक्षा करता है।
  • इसका जाप मन को स्थिर, शांत और आत्मबल से भरपूर बनाता है।
  • जीवन में जब रुकावटें, संघर्ष या शत्रु ज्यादा हों, तब यह स्तोत्र विशेष रूप से असरदार होता है।
  • यह भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का श्रेष्ठ माध्यम है, जो साधक को ध्यान, साधना और मोक्ष के मार्ग पर आगे बढ़ाता है।
  • नियमित पाठ करने से शरीर में ऊर्जा बढ़ती है, रोगों से रक्षा होती है और दुर्भाग्य दूर होता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. पाशुपतास्त्र क्या है?

उत्तर: पाशुपतास्त्र भगवान शिव का एक अत्यंत शक्तिशाली दिव्य अस्त्र है, जो शत्रु, रोग, और संकटों से बचाने में सक्षम माना जाता है। यह अस्त्र विशेष रूप से शिवभक्तों को प्राप्त होता है और इसे केवल महान तपस्वियों द्वारा प्रयोग किया जा सकता है।

2. पाशुपतास्त्र का पाठ करने का सही समय क्या है?

उत्तर: पाशुपतास्त्र का पाठ ब्रह्म मुहूर्त (सुबह के पहले 4 बजे से 6 बजे तक) में करना सबसे शुभ माना जाता है। इसके अतिरिक्त, सूर्यास्त के समय भी इसका पाठ किया जा सकता है।

3. पाशुपतास्त्र का पाठ कौन कर सकता है?

उत्तर: पाशुपतास्त्र का पाठ कोई भी व्यक्ति कर सकता है, खासकर वे लोग जो जीवन में किसी प्रकार की बाधाओं या शत्रुओं से परेशान हैं। इसे महिलाएं, पुरुष, युवा, और वृद्ध सभी कर सकते हैं, बशर्ते वे पूरी श्रद्धा और शुद्धता के साथ इसे करें।

4. पाशुपतास्त्र का पाठ कितने समय तक करना चाहिए?

उत्तर: पाशुपतास्त्र का पाठ 21 दिन तक लगातार करना अत्यधिक प्रभावी होता है। यदि संभव हो, तो इसे 108 बार प्रतिदिन जाप करने का प्रयास करें।

5. पाशुपतास्त्र के साथ अन्य पूजा विधियाँ क्या हैं?

उत्तर: पाशुपतास्त्र का पाठ करते समय आप शिव पूजा भी कर सकते हैं। इस पूजा में भगवान शिव का अभिषेक, दीप जलाना, और बेलपत्र अर्पित करना शामिल है। इसके अतिरिक्त, हवन भी किया जा सकता है जिसमें काले तिल, घी और औषधियों का उपयोग किया जाता है।