Padmavati Mata Chalisa
दोहा
श्री गणपति गुरु गौरी पद, प्रेम सहित धर ध्यान।
कहत चालीसा मात पद्मावती, पावें मनोरथ दान।
चालीसा
जय-जय पद्मावती माई, सबके संकट हरनें आई।
शरण तिहारी जो भी आए, संकट से वह मुक्त हो जाए।
अष्टभुजा धरती पर आयो, भक्तन का दुख-सुख समहरियो।
रतन सिंह पर कृपा करी, चित्तौड़ रक्षा कर ली।
सिंहवाहिनी, रूप सुदर्शन, त्रिलोक में माता का दर्शन।
कमलासन पर माता विराजे, भक्तों का हर संकट साजे।
शस्त्र-शास्त्र में दक्ष बताई, मात-पद्मा सबको सुखदाई।
रणभूमि में दिया सहारा, माता ने हर संकट टारा।
चित्तौड़ की धरती पर आई, वीरता की मूरत बताई।
मेवाड़ की रक्षा कर डाली, मात-पद्मा जय की लाली।
राजाओं की रक्षा करती, सत्य-धर्म का पाठ सिखाती।
भक्त वंदना करते आते, मात-पद्मा संकट मिटाते।
जो भी पाठ करे चालीसा, मात-पद्मा दे उसका शीशा।
मनवांछित फल वही पाए, मात-पद्मा का नाम जो गाए।
दीन-दुखियों का साथ निभाती, मात-पद्मा सुखधाम कहाती।
रात-दिन जो ध्यान लगाए, संकट उससे दूर हटाए।
दोहा
जय-जय पद्मावती माई, करुणा की मूरत सुखदाई।
तेरा पाठ करे जो भी नर, सदा रहे संकट से पर।