अनादि कल्पेश्वर स्तोत्र
अनादि कल्पेश्वर स्तोत्र एक दिव्य और अत्यंत शक्तिशाली स्तोत्र है जो भगवान शिव के अनादि, सर्वव्यापक और कल्पों से परे स्वरूप की स्तुति करता है। इसका नियमित पाठ साधक को न केवल मानसिक शांति, आत्मिक उन्नति और भय से मुक्ति देता है, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, आत्मबल और दिव्य संरक्षण भी प्रदान करता है।
कर्पूरगौरो भुजगेन्द्रहारो गङ्गाधरो लोकहितावहः सः ।
सर्वेश्र्वरो देववरोऽप्यघोरो योऽनादिकल्पेश्र्वर एव सोऽसौ ॥ १ ॥
कैलासवासी गिरिजाविलासी श्मशानवासी सुमनोनिवासी ।
काशीनिवासी विजयप्रकाशी योऽनादिकल्पेश्र्वर एव सोऽसौ ॥ २ ॥
त्रिशूलधारी भवदुःखहारी कन्दर्पवैरी रजनीशधारी ।
कपर्दधारी भजकानुसारी योऽनादिकल्पेश्र्वर एव सोऽसौ ॥ ३ ॥
लोकाधिनाथः प्रमथाधिनाथः कैवल्यनाथः श्रुतिशास्त्रनाथः ।
विद्यार्थनाथः पुरुषार्थनाथो योऽनादिकल्पेश्र्वर एव सोऽसौ ॥ ४ ॥
लिङ्गं परिच्छेत्तुमधोगतस्य नारायणश्र्चोपरि लोकनाथः ।
बभूवतुस्तावपि नो समर्थौ योऽनादिकल्पेश्र्वर एव सोऽसौ ॥ ५ ॥
यं रावणस्ताण्डवकौशलेन गीतेन चातोषयदस्य सोऽत्र ।कृपाकटाक्षेण स
मृद्धिमाप योऽनादिकल्पेश्र्वर एव सोऽसौ ॥ ६ ॥
सकृच्च बाणोऽवनमय्यशीर्षं यस्याग्रतः सोप्यलभत्समृद्धिम् ।
देवेन्द्रसम्पत्त्यधिकां गरिष्ठां योऽनादिकल्पेश्र्वर एव सोऽसौ ॥ ७ ॥
गुणान्विमातुं न समर्थ एष वेषश्र्च जीवोऽपि विकुण्ठितोऽस्य ।
श्रुतिश्र्च नूनं चलितं बभाषे योऽनादिकल्पेश्र्वर एव सोऽसौ ॥ ८ ॥
अनादिकल्पेश उमेश एतत् स्तवाष्टकं यः पठति त्रिकालम् ।
स धौतपापोऽखिललोकवन्द्यं शैवं पदं यास्यति भक्तिमांश्र्चेत् ॥ ९ ॥
॥ इति ॥ श्रीवासुदेवानन्दसरस्वतीकृतमनादिकल्पेश्वरस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
अनादि कल्पेश्वर स्तोत्र पढ़ने का क्या लाभ है?
इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से साधक को आध्यात्मिक शक्ति, मन की शांति, नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा और दैनिक जीवन में स्थिरता प्राप्त होती है। यह व्यक्ति की आंतरिक ऊर्जा को जाग्रत करता है और उसे ईश्वर से जोड़ता है, जिससे आत्मविश्वास और समाधान की शक्ति बढ़ती है।
इस स्तोत्र को पढ़ने का सबसे अच्छा समय क्या है?
इस स्तोत्र का पाठ ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे के बीच) में करना सबसे उत्तम माना गया है। इस समय वातावरण शांत, सात्विक और ऊर्जा से भरपूर होता है, जिससे पाठ का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है। यदि यह समय संभव न हो, तो सूर्योदय से पहले या संध्या के समय भी पढ़ सकते हैं।
यह स्तोत्र कौन-कौन पढ़ सकता है?
इस स्तोत्र को कोई भी व्यक्ति—स्त्री या पुरुष, युवा या वृद्ध, चाहे वह गृहस्थ हो या सन्यासी—भक्ति भाव से पढ़ सकता है। किसी जाति, वर्ग या पंथ की बाध्यता नहीं है; केवल श्रद्धा, नीयम और निष्ठा की आवश्यकता है।
बीज मंत्र
- ॐ ह्रीं नमः
- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. अनादि कल्पेश्वर स्तोत्र का मूल उद्देश्य क्या है?
उत्तर: यह स्तोत्र भगवान शिव के उस अनादि‑अनंत स्वरूप की स्तुति करता है, जो सृष्टि के आरंभ से पूर्व भी विद्यमान था, ताकि पाठक को ईश्वर‑भक्ति और आध्यात्मिक जागरूकता प्राप्त हो सके।
2. प्रतिदिन कितनी बार इसका पाठ करना चाहिए?
उत्तर: आदर्शतः कम से कम एक बार, ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4–6 बजे) में। परंतु यदि समय न मिले तो दिन में किसी भी सात्विक समय (सूर्योदय से पूर्व या संध्या के समय) में भी एक बार अवश्य करें।
3. स्तोत्र पढ़ते समय किन बातों का ध्यान रखें?
- मंत्रों के उच्चारण में एकाग्रता
- धूप‑दीप और अगरबत्ती से वातावरण का पवित्रिकरण
- पाठ के पूर्व “ॐ नमः शिवाय” का जाप मन में
- पाठ के बाद २–३ मिनट मौन ध्यान
- शुद्ध स्थान और साफ‑सफाई
4. क्या इस स्तोत्र के साथ अन्य कोई उपासनाएँ करनी चाहिए?
उत्तर: विकल्पतः शिवलिंग या त्रिशूल के समक्ष जल, पंचामृत, फल‑फूल अर्पण कर सकते हैं। रुद्राभिषेक, चंदन के टीके अथवा धतूरा‑धूप से पूजन अधिक प्रभावशाली होता है।
5. स्तोत्र पढ़ने के तुरंत बाद क्या लाभ अनुभव होते हैं?
- मानसिक शांति एवं तनाव ह्रास
- सकारात्मक ऊर्जा का स्फुरण
- डर‑भय और राहु‑केतु दोष का शमन
- आत्मविश्वास में वृद्धि
- ध्यान व साधना में सहजता