यह व्रत देवी अन्नपूर्णा से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इस व्रत के दौरान भक्त देवी अन्नपूर्णा के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं और उन्हें घर में भोजन की सुख-शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देने की प्रार्थना करते हैं। यह व्रत मार्गशीर्ष कृष्ण पंचमी से शुरू होता है और मार्गशीर्ष शुक्ल षष्ठी तक चलता है।
घटना | अन्नपूर्णा व्रत |
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व्रत प्रारंभ तिथि | 20 नवंबर 2024 (मार्गशीर्ष कृष्ण पंचमी) |
व्रत समाप्ति तिथि | 6 दिसंबर 2024 (मार्गशीर्ष शुक्ल षष्ठी) |
व्रत अवधि | 17 दिन (कभी-कभी 21 दिन तक बढ़ सकता है) |
पारण समय | 6 दिसंबर 2024 को पारण (व्रत का समापन) |
व्रत का महत्व | देवी अन्नपूर्णा से समृद्धि और भोजन सुरक्षा के लिए पूजा और उपवास |
मनाए जाने वाले पर्व | मुख्य रूप से उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है |
व्रत के दौरान आहार | नमक और कुछ अनाज का सेवन न करें, मूंग दाल, चावल, केला आदि खाएं |
मुख्य पूजन विधि | अन्नपूर्णा माता की कथा का पाठ, घर या मंदिर में पूजा की जाती है |
व्रत का फल | इच्छाओं की पूर्ति, समृद्धि, स्वास्थ्य और धन की प्राप्ति |
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