Apadunmoolana Durga Stotram

आपदुद्धारण दुर्गा स्तोत्र

आपदुद्धारण दुर्गा स्तोत्र एक शक्तिशाली स्तुति है जो देवी दुर्गा को समर्पित है। यह स्तोत्र भगवान शिव द्वारा देवी पार्वती को बताया गया था और इसे पढ़ने से सभी प्रकार की आपदाओं, संकटों और भय से मुक्ति मिलती है।

|| आपदुन्मूलन दुर्गा स्तोत्रम् ||

लक्ष्मीशे योगनिद्रां प्रभजति
भुजगाधीशतल्पे सदर्पा-
वुत्पन्नौ दानवौ
तच्छ्रवणमलमयाङ्गौ मधुं कैटभं च ।

दृष्ट्वा भीतस्य धातुः
स्तुतिभिरभिनुतां आशु तौ नाशयन्तीं
दुर्गां देवीं प्रपद्ये
शरणमहमशेषापदुन्मूलनाय ॥

युद्धे निर्जित्य दैत्यस्त्रिभुवनमखिलं
यस्तदीय धिष्ण्ये-
ष्वास्थाप्य स्वान् विधेयान्
स्वयमगमदसौ शक्रतां विक्रमेण ।

तं सामात्याप्तमित्रं
महिषमभिनिहत्यास्यमूर्धाधिरूढां
दुर्गां देवीं प्रपद्ये
शरणमहमशेषापदुन्मूलनाय ॥

विश्वोत्पत्तिप्रणाशस्थितिविहृतिपरे
देवि घोरामरारि-
त्रासात् त्रातुं कुलं नः
पुनरपि च महासङ्कटेष्वीदृशेषु ।

आविर्भूयाः पुरस्तादिति
चरणनमत् सर्वगीर्वाणवर्गां
दुर्गां देवीं प्रपद्ये
शरणमहमशेषापदुन्मूलनाय ॥

हन्तुं शुंभं निशुंभं
विबुधगणनुतां हेमडोलां हिमाद्रा-
वारूढां व्यूढदर्पान् युधि
निहतवतीं धूम्रदृक् चण्डमुण्डान् ।

चामुण्डाख्यां दधानां
उपशमितमहारक्तबीजोपसर्गां
दुर्गां देवीं प्रपद्ये
शरणमहमशेषापदुन्मूलनाय ॥

ब्रह्मेशस्कन्दनारायण
किटिनरसिंहेन्द्रशक्तीः स्वभृत्याः
कृत्वा हत्वा निशुंभं
जितविबुधगणं त्रासिताशेषलोकम् ।

एकीभूयाथ शुंभं रणशिरसि
निहत्यास्थितां आत्तखड्गां
दुर्गां देवीं प्रपद्ये
शरणमहमशेषापदुन्मूलनाय ॥

उत्पन्ना नन्दजेति स्वयमवनितले
शुंभमन्यं निशुंभम्
भ्रामर्याख्यारुणाख्या पुनरपि
जननी दुर्गमाख्यं निहन्तुम् ।

भीमा शाकंभरीति त्रुटितरिपुभटां
रक्तदन्तेति जातां
दुर्गां देवीं प्रपद्ये
शरणमहमशेषापदुन्मूलनाय ॥

त्रैगुण्यानां गुणानां
अनुसरणकलाकेलि नानावतारैः
त्रैलोक्यत्राणशीलां
दनुजकुलवनीवह्निलीलां सलीलाम् ।

देवीं सच्चिन्मयीं तां
वितरितविनमत्सत्रिवर्गापवर्गां
दुर्गां देवीं प्रपद्ये
शरणमहमशेषापदुन्मूलनाय ॥

सिंहारूढां त्रिनेत्रां
करतलविलसत् शंखचक्रासिरम्यां
भक्ताभीष्टप्रदात्रीं रिपुमथनकरीं
सर्वलोकैकवन्द्याम् ।

सर्वालङ्कारयुक्तां शशियुतमकुटां
श्यामलाङ्गीं कृशाङ्गीं
दुर्गां देवीं प्रपद्ये
शरणमहमशेषापदुन्मूलनाय ॥

त्रायस्वस्वामिनीति त्रिभुवनजननि
प्रार्थना त्वय्यपार्था
पाल्यन्तेऽभ्यर्थनायां भगवति
शिशवः किन्न्वनन्याः जनन्या ।

तत्तुभ्यं स्यान्नमस्येत्यवनत
विबुधाह्लादिवीक्षाविसर्गां
दुर्गां देवीं प्रपद्ये
शरणमहमशेषापदुन्मूलनाय ॥

एतं सन्तः पठन्तु
स्तवमखिलविपज्जालतूलानलाभं
हृन्मोहध्वान्तभानुप्रतिमम
खिलसङ्कल्पकल्पद्रुकल्पम् ।

दौर्गं दौर्गत्यघोरातपतुहिनकर
प्रख्यमंहोगजेन्द्र-
श्रेणीपञ्चास्यदेश्यं
विपुलभयदकालाहितार्क्ष्यप्रभावम् ॥

इस स्तोत्र का पाठ करने से क्या लाभ होता है?

इस स्तोत्र के नियमित पाठ से साधक को मानसिक शांति, आत्मिक उन्नति, और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है। यह स्तोत्र विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो जीवन में स्थिरता, आत्मबल, और आध्यात्मिक जागरूकता प्राप्त करना चाहते हैं।

इस स्तोत्र को पढ़ने का सबसे अच्छा समय क्या है?

इस स्तोत्र का पाठ प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे के बीच) में करना सबसे उत्तम माना गया है, क्योंकि इस समय वातावरण शांत और ऊर्जा से भरपूर होता है। यदि यह समय संभव न हो, तो दिन में किसी भी सात्विक समय (सूर्योदय से पूर्व या संध्या के समय) में भी पढ़ सकते हैं।

यह स्तोत्र कौन-कौन पढ़ सकता है?

कोई भी व्यक्ति, चाहे वह स्त्री हो या पुरुष, इस स्तोत्र का पाठ श्रद्धा और भक्ति के साथ कर सकता है। विशेष रूप से वे लोग जो जीवन में आपदाओं, संकटों और भय से मुक्ति चाहते हैं, उन्हें इसका पाठ अवश्य करना चाहिए।

बीज मंत्र

  • “ॐ दुं दुर्गायै नमः”
  • “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे”

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. आपदुद्धारण दुर्गा स्तोत्र क्या है और इसका पाठ क्यों किया जाता है?

उत्तर: यह स्तोत्र देवी दुर्गा को समर्पित एक शक्तिशाली प्रार्थना है, जिसका उद्देश्य जीवन की आपत्तियों (दुर्घटनाएं, विपत्तियां, मानसिक पीड़ा) से रक्षा पाना है। इसका पाठ संकट के समय मानसिक स्थिरता और देवी की कृपा पाने के लिए किया जाता है।

2. इस स्तोत्र का पाठ कब और कैसे करना चाहिए?

उत्तर: इसे प्रातःकाल या संध्या समय शांत और पवित्र वातावरण में माँ दुर्गा की मूर्ति/चित्र के समक्ष, दीप जलाकर और चित्त एकाग्र कर पढ़ा जाना चाहिए। विशेष फल के लिए नवरात्रि, अष्टमी, अमावस्या या संकट के समय पाठ करें।

3. क्या यह स्तोत्र सभी लोग पढ़ सकते हैं?

उत्तर: हाँ, स्त्री, पुरुष, गृहस्थ, विद्यार्थी, साधक—कोई भी व्यक्ति इस स्तोत्र को श्रद्धा और विश्वास से पढ़ सकता है। इसे पढ़ने के लिए किसी विशेष दीक्षा की आवश्यकता नहीं है।

4. इस स्तोत्र का क्या-क्या लाभ होता है?

उत्तर: यह स्तोत्र पढ़ने से भय, दुर्घटनाएं, मानसिक तनाव, शारीरिक व्याधि, और पारिवारिक क्लेश जैसे संकटों से मुक्ति मिलती है। यह साधक के जीवन में साहस, धैर्य और देवी का संरक्षण लाता है।

5. क्या इसमें कोई बीज मंत्र या विशेष मंत्र हैं?

उत्तर: हाँ, इस स्तोत्र में देवी के शक्ति रूप की स्तुति के साथ “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” जैसे बीज मंत्रों का भावतः समावेश होता है, जो रक्षा, ऊर्जा और सिद्धि प्रदान करते हैं।