Aparajita Stotram

अपराजिता स्तोत्र एक शक्तिशाली संस्कृत स्तोत्र है, जो देवी अपराजिता की पूजा के लिए समर्पित है। ‘अपराजिता’ का अर्थ है ‘जिसे कोई पराजित नहीं कर सकता।’ यह स्तोत्र विशेष रूप से विजयादशमी (दशहरा) के दिन पढ़ा जाता है, जो भगवान राम द्वारा रावण पर विजय प्राप्त करने की याद में मनाया जाता है। इसका पाठ मानसिक बल, आत्मविश्वास और जीवन में विजय प्राप्ति के लिए किया जाता है। देवी अपराजिता का यह स्तुति स्तोत्र भक्तों को हर प्रकार की बाधाओं और शत्रुओं से मुक्ति दिलाने का एक प्रभावी तरीका माना जाता है।

अपराजिता स्तोत्रम्

नमः शान्तायै सिद्धायै
सर्वकार्यफलप्रदा।
विवृद्धसर्वदोषघ्नि
सर्वज्ञे सर्वकर्मसु।

नमः सर्वेन्द्रियाणां
नमः सर्वसुखप्रदा।
सर्वपापविनिर्मुक्ता
सर्वमङ्गलकारिणि।

जपमाल्यानुपूजिता
राजधान्याश्रयस्वरूपिणि।
सर्वकष्टविनिर्मुक्ता
सर्वशक्तिं प्रदायिनी।

नमः सकलरोगघ्नि
सर्वसाधारणाश्रयः।
सर्वकर्मफलप्रदा
सिद्धिपूजितमंगलम्।

हर्षिणी शान्तिप्रदा
सर्वरोगविनाशिनी।
सर्वजीवात्मनायकैः
प्रभूतं पुण्यफलप्रदा।

ॐ श्री अपराजिता स्तोत्रम् सम्पूर्णम्।

इस स्तोत्र का इतिहास और महत्व क्या है?

अपराजिता स्तोत्र का इतिहास देवी दुर्गा के असुरों पर विजय प्राप्त करने से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि भगवान राम ने रावण से युद्ध में विजय पाने से पहले देवी अपराजिता की उपासना की थी। विजयादशमी के दिन इस स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों को विजय, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।

इस स्तोत्र का पढ़ने का समय और विधि क्या है?

इस स्तोत्र का पाठ विजयादशमी के दिन विशेष रूप से शुभ होता है। इस दिन प्रात: स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनकर देवी अपराजिता का पूजन करें और “ॐ अपराजितायै नमः” मंत्र का जाप करें। यह विधि अधिक प्रभावी मानी जाती है।

इस स्तोत्र को कौन पढ़ सकता है?

अपराजिता स्तोत्र का पाठ हर कोई कर सकता है, चाहे वह पुरुष हो या महिला। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो जीवन में किसी प्रकार की कठिनाई या शत्रुओं का सामना कर रहे हैं।

इस स्तोत्र के लाभ क्या है?

  • इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को जीवन में आ रही बाधाओं, समस्याओं और शत्रुओं से विजय प्राप्त होती है। देवी अपराजिता की कृपा से सभी कठिनाइयाँ दूर होती हैं।
  • अपराजिता स्तोत्र मानसिक बल और आत्मविश्वास को बढ़ाता है। इसे पढ़ने से व्यक्ति के मन में सकारात्मकता और शांति का संचार होता है, जो उसे जीवन में सफल होने के लिए प्रेरित करता है।
  • यह स्तोत्र उन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है जो जीवन में किए गए पापों या गलत कार्यों से मुक्ति चाहते हैं। देवी अपराजिता की पूजा से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
  • अपराजिता स्तोत्र का पाठ करने से शत्रुओं से सुरक्षा मिलती है। यह उन लोगों के लिए विशेष रूप से प्रभावी है, जो जीवन में शत्रुओं या प्रतिस्पर्धियों से परेशान हैं।
  • यह स्तोत्र समृद्धि और सुख की प्राप्ति के लिए भी लाभकारी है। नियमित रूप से इसका पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है।

बीज मंत्र:

  • ॐ अपराजितायै नमः

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. प्रश्न: अपराजिता स्तोत्र क्या है और इसका क्या महत्व है?

उत्तर: अपराजिता स्तोत्र देवी अपराजिता की उपासना के लिए एक शक्तिशाली संस्कृत स्तोत्र है। ‘अपराजिता’ का अर्थ है ‘जिसे कोई पराजित नहीं कर सकता’। यह स्तोत्र देवी अपराजिता की पूजा करते हुए जीवन में विजय, आत्मविश्वास, और समृद्धि प्राप्त करने के लिए किया जाता है। विशेष रूप से विजयादशमी के दिन इसका पाठ अत्यधिक फलदायी माना जाता है।

2. प्रश्न: अपराजिता स्तोत्र का पाठ करने से कौन से लाभ होते हैं?

उत्तर: अपराजिता स्तोत्र का नियमित पाठ मानसिक शक्ति, आत्मविश्वास और विजय की प्राप्ति के लिए किया जाता है। इससे जीवन में आ रही बाधाओं और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है। यह स्तोत्र देवी अपराजिता की कृपा से पापों का नाश करता है और जीवन में समृद्धि लाता है।

3. प्रश्न: अपराजिता स्तोत्र का पाठ करने का सबसे अच्छा समय कब है?

उत्तर: अपराजिता स्तोत्र का पाठ विशेष रूप से विजयादशमी के दिन (दशहरा) शुभ होता है, लेकिन इसे किसी भी दिन किया जा सकता है। प्रात:काल स्नान कर और स्वच्छ वस्त्र पहनकर इस स्तोत्र का पाठ करना उत्तम माना जाता है।

4. प्रश्न: अपराजिता स्तोत्र को कौन-कौन लोग पढ़ सकते हैं?

उत्तर: अपराजिता स्तोत्र का पाठ कोई भी व्यक्ति कर सकता है, चाहे वह पुरुष हो या महिला। यह स्तोत्र उन सभी के लिए लाभकारी है जो जीवन में कठिनाइयों या शत्रुओं का सामना कर रहे हैं या जो अपनी सफलता के लिए देवी अपराजिता से आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं।

5. प्रश्न: अपराजिता स्तोत्र में कौन सा बीज मंत्र है और इसका क्या महत्व है?

उत्तर:अपराजिता स्तोत्र में “ॐ अपराजितायै नमः” बीज मंत्र का जाप किया जाता है। यह मंत्र देवी अपराजिता की पूजा का मुख्य मंत्र है। इसका जाप करने से व्यक्ति को विजय, शक्ति, और सफलता प्राप्त होती है और सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति मिलती है।