बाल रक्षा स्तोत्र
बाल रक्षा स्तोत्र एक प्रभावशाली वैदिक या पारंपरिक स्तोत्र है जो बच्चों की रक्षा, स्वास्थ्य, दीर्घायु, और दृष्ट-दोष, भूत-प्रेत, या तांत्रिक प्रभावों से सुरक्षा के लिए पाठ किया जाता है। यह विशेष रूप से शिशु, छोटे बच्चों, और नवजात शिशुओं के लिए उपयोगी माना जाता है।
यहाँ मैं आपको एक प्राचीन और लोकप्रिय बाल रक्षा स्तोत्रम् प्रस्तुत कर रहा हूँ, जो भगवान नारायण और नृसिंह भगवान की कृपा से शिशु की रक्षा करता है।
अव्यादजोऽङ्घ्रि मणिमांस्तव जान्वथोरू
यज्ञोऽच्युतः कटि-तटं जठरं हयास्यः ।
हृत्-केशव-स्त्व-दुर ईश इनस्तु कण्ठं
विष्णुर-भुजं मुख-मुरु-क्रम ईश्वरः कम् ॥ १॥
चक्र्यग्रतः सहगदो हरि-रस्तु पश्चात्
त्वत-पार्श्व-योर्ध-नुरसी मधुहा-जनश्च ।
कोणेषु शङ्ख उरुगाय उपर-युपेन्द्रस्
तार्क्ष्यः क्षितौ हल-धरः पुरुषः समन्तात् ॥ २॥
इन्द्रि-याणि हृषी-केशः प्राणान-नारायणोऽवतु ।
श्वेत-द्वीप-पति-श्चित्तं मनो योगे-श्वरोऽवतु ॥ ३॥
पृश्नि-गर्भ-स्तु ते बुद्धि-मात्मानं भगवान-परः ।
क्रीडन्तं पातु गोविन्दः शयानं पातु माधवः ॥ ४॥
व्रजन्त-मव्याद्-वैकुण्ठ आसीनं त्वां श्रियः पतिः ।
भुञ्जानं यज्ञ-भुक्पातु सर्व-ग्रहभयङ्करः ॥ ५॥
डाकिन्यो यातु-धान्यश्च कुष्माण्डा येऽर्भकग्रहाः ।
भूत-प्रेत-पिशाचाश्च यक्ष-रक्षो-विनायकाः ॥ ६॥
कोटरा रेवती ज्येष्ठा पूतना मातृकादयः ।
उन्मादा ये ह्यपस्मारा देहप्राणेन्द्रियद्रुहः ॥ ७॥
स्वप्न-दृष्टा महोत-पाता वृद्ध-बाल-ग्रहाश्च ये ।
सर्वे नश्यन्तु ते विष्णोर-नाम-ग्रहण-भीरवः ॥ ८॥
॥ इति श्री-मद्भागवते दशमस्कन्धे
गोपी कृत बाल रक्षा समाप्ता ॥
॥ श्रीगुरुदत्तात्रेयार्पणमस्तु ॥
|| श्री स्वामी समर्थापर्ण मस्तु||