दामोदर स्तोत्र नकारात्मक सोच, डर और मानसिक तनाव से मुक्ति पाने का अत्यंत प्रभावी माध्यम है। जब जीवन में सब कुछ उलझा हुआ लगे, तब यह स्तोत्र अंदर से शक्ति और शांति प्रदान करता है। नियमित पाठ से मन स्थिर होता है और आत्मबल बढ़ता है, जिससे भय और चिंता धीरे-धीरे समाप्त हो जाती है। यह न सिर्फ भक्त को श्रीकृष्ण से जोड़ता है, बल्कि अवसाद जैसी स्थितियों में आध्यात्मिक सहारा भी देता है। श्रद्धा और नियम से किया गया इसका पाठ जीवन में उमंग भर देता है।
हमने यंहा “कर्तव्यविंदेन पदारविंदं, मुखार्विंदे विनिवेश यन्तम्।” का पूरा लिरिक्स हिंदी में उल्लेख किया है ताकि आप अच्छी तरह से पड़ सके।
Damodar Stotram
दामोदर स्तोत्र
करारविन्देन पदार्विन्दं, मुखार्विन्दे विनिवेश यन्तम्।
वटस्य पत्रस्य पुटेशयानं, बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि॥
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारे, हे नाथ नारायण वासुदेव।
जिव्हे पिबस्वा मृतमेव देव, गोविन्द दामोदर माधवेति॥
विक्रे तुकामा खिल गोपकन्या, मुरारि पादार्पित चित्त वृतिः।
दध्यादिकं मोहावशाद वोचद्, गोविन्द दामोदर माधवेति॥
गृहे-गृहे गोपवधू कदम्बा:, सर्वे मिलित्वा समवाप्य योगम्।
पुण्यानि नामानि पठन्ति नित्यं, गोविन्द दामोदर माधवेति॥
सुखं शयाना निलये निजेऽपि, नामानि विष्णोः प्रवदन्ति मर्त्याः।
ते निश्चितं तन्मयतमां व्रजन्ति, गोविन्द दामोदर माधवेति॥
जिह्वे दैवं भज सुन्दराणि, नामानि कृष्णस्य मनोहराणि।
समस्त भक्तार्ति विनाशनानि, गोविन्द दामोदर माधवेति॥
सुखावसाने इदमेव सारं, दुःखावसाने इदमेव ज्ञेयम्।
देहावसाने इदमेव जाप्यं, गोविन्द दामोदर माधवेति॥
जिह्वे रसज्ञे मधुरप्रिया त्वं, सत्यं हितं त्वां परमं वदामि।
आवर्णये त्वं मधुराक्षराणि, गोविन्द दामोदर माधवेति॥
त्वामेव याचे मन देहि जिह्वे, समागते दण्डधरे कृतान्ते।
वक्तव्यमेवं मधुरम सुभक्तया, गोविन्द दामोदर माधवेति॥
श्रीनाथ विश्वेश्वर विश्व मुर्ते श्री देवकीनन्दन दैत्य शत्रु ।
जिव्हे पिबस्वा मृतमेव देव, गोविन्द दामोदर माधवेति॥
श्री कृष्ण राधावर गोकुलेश, गोपाल गोवर्धन नाथ विष्णो।
जिह्वे पिबस्वा मृतमेवदेवं, गोविन्द दामोदर माधवेति॥