गुरु प्रदोष व्रत 28 नवंबर 2024 को गुरुवार को मनाया जाएगा। यह व्रत भगवान शिव और गुरु बृहस्पति की पूजा के लिए है, जो विशेष रूप से समृद्धि, सुख, और स्वास्थ्य के लिए रखा जाता है। पूजा का समय शाम का होता है और उपवास का समापन 29 नवंबर को सूर्योदय से पहले किया जाएगा |
विवरण | जानकारी |
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पर्व का नाम | गुरु प्रदोष व्रत |
आरंभ तिथि | 28 नवंबर 2024 (गुरुवार) |
समाप्ति तिथि | 28 नवंबर 2024 (रात) |
पारण (उपवासी का समापन) | 29 नवंबर 2024, सुबह सूर्योदय से पहले |
पूजा का समय | प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय, सूर्योदय के बाद से सूर्यास्त तक विशेष रूप से की जाती है। |
व्रत की महत्वता | गुरु प्रदोष व्रत विशेष रूप से भगवान शिव और गुरु (बृहस्पति) की पूजा के लिए है। इसे सामाजिक सुख, स्वास्थ्य, और समृद्धि के लिए रखा जाता है। |
उपवास विधि | दिनभर उपवासी रहकर शाम को पूजा के समय फलाहार लिया जाता है। पूजा में शिवजी का पूजन और बृहस्पति देव की पूजा की जाती है। |
प्रमुख पूजा सामग्री | बेल पत्र, चंदन, जल, दीपक, फूल, अक्षत, पंचामृत, इत्यादि। |
विशेष ध्यान | प्रदोष व्रत का समय सायंकाल होता है और इसे विशेष रूप से गुरुवार को मनाना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके साथ ही गुरु ग्रह की पूजा से समृद्धि और शांति मिलती है। |
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