कालभैरव जयंती
कालभैरव जयंती की संपूर्ण जानकारी (सरल हिंदी में)
शीर्षक | विवरण |
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पर्व का नाम | कालभैरव जयंती 2024 |
तारीख | 22 नवंबर 2024 |
अष्टमी तिथि प्रारंभ | 22 नवंबर 2024, शाम 6:07 बजे |
अष्टमी तिथि समाप्त | 23 नवंबर 2024, शाम 7:56 बजे |
महत्व | भगवान शिव के रौद्र स्वरूप कालभैरव की पूजा का दिन। यह नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा और परिवर्तन का प्रतीक है। |
पूजा विधि | – सुबह जल्दी स्नान और शुद्धिकरण।- ॐ ह्रीं उन्मत्त भैरवाय नमः मंत्र का जाप।- रात्रि में विशेष पूजा और प्रसाद चढ़ाना।- कुत्तों को भोजन कराना। |
लाभ | – नकारात्मक ऊर्जा से बचाव।- राहु और शनि दोष से राहत।- साहस और आध्यात्मिक प्रगति।- धन और स्वास्थ्य में वृद्धि। |
व्रत नियम | – दिनभर फल और पानी पर उपवास।- दोपहर में सोने से बचें।- मध्यरात्रि पूजा के बाद व्रत तोड़ें। |
विशेष उपाय | – सरसों के तेल का दीपक जलाना।- वित्तीय समस्याओं के निवारण के लिए नारियल और जलेबी का भोग लगाना।- स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाना। |
कालभैरव जयंती भक्ति और आध्यात्मिक शुद्धि का पर्व है। इस दिन भगवान कालभैरव की पूजा से नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा और जीवन में सकारात्मकता आती है |
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