Kaal Bhairav Chalisa
काल भैरव चालीसा भगवान शिव के रौद्र रूप, श्री काल भैरव को समर्पित एक पावन स्तुति है। इसमें 40 चौपाइयों के माध्यम से उनके अद्भुत स्वरूप, शक्ति और भक्तों पर कृपा का वर्णन किया गया है। इस चालीसा का नियमित पाठ करने से भय, रोग, दोष और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है।
काल भैरव को काल यानी समय और मृत्यु पर नियंत्रण का अधिपति माना जाता है। चालीसा पढ़ने से व्यक्ति को आत्मिक बल, साहस और निर्णय क्षमता में वृद्धि होती है। यह खासतौर से उन लोगों को लाभ देती है जिन पर राहु-केतु जैसे ग्रहों की अशुभ दृष्टि हो या कालसर्प योग से पीड़ित हों। यह पाठ तांत्रिक बाधाओं को दूर करने में भी मददगार माना गया है।
काल भैरव चालीसा
॥ दोहा ॥
श्री गणपति, गुरु गौरि पद, प्रेम सहित धरि माथ ।
चालीसा वन्दन करों, श्री शिव भैरवनाथ ॥
श्री भैरव संकट हरण, मंगल करण कृपाल ।
श्याम वरण विकराल वपु, लोचन लाल विशाल ॥
|| चौपाई ||
जय जय श्री काली के लाला । जयति जयति काशी-कुतवाला ॥
जयति बटुक भैरव जय हारी । जयति काल भैरव बलकारी ॥
जयति सर्व भैरव विख्याता । जयति नाथ भैरव सुखदाता ॥
भैरव रुप कियो शिव धारण । भव के भार उतारण कारण ॥
भैरव रव सुन है भय दूरी । सब विधि होय कामना पूरी ॥
शेष महेश आदि गुण गायो । काशी-कोतवाल कहलायो ॥
जटाजूट सिर चन्द्र विराजत । बाला, मुकुट, बिजायठ साजत ॥
कटि करधनी घुंघरु बाजत । दर्शन करत सकल भय भाजत ॥
जीवन दान दास को दीन्हो । कीन्हो कृपा नाथ तब चीन्हो ॥
वसि रसना बनि सारद-काली । दीन्यो वर राख्यो मम लाली ॥
धन्य धन्य भैरव भय भंजन । जय मनरंजन खल दल भंजन ॥
कर त्रिशूल डमरु शुचि कोड़ा । कृपा कटाक्ष सुयश नहिं थोड़ा ॥
जो भैरव निर्भय गुण गावत । अष्टसिद्घि नवनिधि फल पावत ॥
रुप विशाल कठिन दुख मोचन । क्रोध कराल लाल दुहुं लोचन ॥
अगणित भूत प्रेत संग डोलत । बं बं बं शिव बं बं बोतल ॥
रुद्रकाय काली के लाला । महा कालहू के हो काला ॥
बटुक नाथ हो काल गंभीरा । श्वेत, रक्त अरु श्याम शरीरा ॥
करत तीनहू रुप प्रकाशा । भरत सुभक्तन कहं शुभ आशा ॥
त्न जड़ित कंचन सिंहासन । व्याघ्र चर्म शुचि नर्म सुआनन ॥
तुमहि जाई काशिहिं जन ध्यावहिं । विश्वनाथ कहं दर्शन पावहिं ॥
जय प्रभु संहारक सुनन्द जय । जय उन्नत हर उमानन्द जय ॥
भीम त्रिलोकन स्वान साथ जय । बैजनाथ श्री जगतनाथ जय ॥
महाभीम भीषण शरीर जय । रुद्र त्र्यम्बक धीर वीर जय ॥
अश्वनाथ जय प्रेतनाथ जय । श्वानारुढ़ सयचन्द्र नाथ जय ॥
निमिष दिगम्बर चक्रनाथ जय । गहत अनाथन नाथ हाथ जय ॥
त्रेशलेश भूतेश चन्द्र जय । क्रोध वत्स अमरेश नन्द जय ॥
श्री वामन नकुलेश चण्ड जय । कृत्याऊ कीरति प्रचण्ड जय ॥
रुद्र बटुक क्रोधेश काल धर । चक्र तुण्ड दश पाणिव्याल धर ॥
करि मद पान शम्भु गुणगावत । चौंसठ योगिन संग नचावत ॥
करत कृपा जन पर बहु ढंगा । काशी कोतवाल अड़बंगा ॥
देयं काल भैरव जब सोटा । नसै पाप मोटा से मोटा ॥
जाकर निर्मल होय शरीरा। मिटै सकल संकट भव पीरा ॥
श्री भैरव भूतों के राजा । बाधा हरत करत शुभ काजा ॥
ऐलादी के दुःख निवारयो । सदा कृपा करि काज सम्हारयो ॥
सुन्दरदास सहित अनुरागा । श्री दुर्वासा निकट प्रयागा ॥
श्री भैरव जी की जय लेख्यो । सकल कामना पूरण देख्यो ॥
॥ दोहा ॥
जय जय जय भैरव बटुक, स्वामी संकट टार ।
कृपा दास पर कीजिये, शंकर के अवतार ॥
जो यह चालीसा पढ़े, प्रेम सहित सत बार ।
उस घर सर्वानन्द हों, वैभव बड़े अपार ॥
|| इति श्री भैरव चालीसा समाप्त ||
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FAQ
1. काल भैरव चालीसा का पाठ करने से क्या लाभ होता है?
नियमित पाठ से भय, रोग, शत्रु बाधा और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है। यह आत्मबल, साहस और मानसिक शांति प्रदान करता है। साथ ही, यह आध्यात्मिक प्रगति में सहायक होता है।
2. काल भैरव चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?
प्रातःकाल या संध्या समय, विशेषकर रविवार या मंगलवार को, शुद्धता और एकाग्रता के साथ इसका पाठ करना श्रेष्ठ माना जाता है।
3. क्या काल भैरव चालीसा से तांत्रिक बाधाएँ दूर होती हैं?
हाँ, यह चालीसा तांत्रिक बाधाओं, बुरी नजर और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करती है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो ऐसे प्रभावों से ग्रस्त हैं।
4. काल भैरव चालीसा कौन पढ़ सकता है?
कोई भी श्रद्धालु, चाहे स्त्री हो या पुरुष, इसका पाठ कर सकता है। विशेष रूप से वे लोग जिन्हें बार-बार बाधाएँ या डर सताते हैं, उन्हें इसका नियमित पाठ लाभ देता है।
5. काल भैरव चालीसा का पाठ कैसे करें?
शुद्ध स्थान पर बैठकर, दीपक जलाकर, भगवान काल भैरव की प्रतिमा या चित्र के सामने, श्रद्धा और भक्ति के साथ इसका पाठ करें। काले तिल, सरसों के तेल और काले वस्त्रों का उपयोग विशेष फलदायी माना जाता है।
6. क्या काल भैरव चालीसा से ग्रह दोषों का निवारण होता है?
हाँ, यह चालीसा राहु, केतु और शनि जैसे ग्रहों के अशुभ प्रभावों को कम करने में सहायक होती है। यह कालसर्प दोष से पीड़ित लोगों के लिए भी लाभकारी मानी जाती है।
7. काल भैरव चालीसा और काल भैरव अष्टक में क्या अंतर है?
चालीसा में 40 चौपाइयाँ होती हैं, जबकि अष्टक में 8 श्लोक होते हैं। दोनों ही भगवान काल भैरव की स्तुति हैं, परंतु अष्टक विशेष रूप से आदि शंकराचार्य द्वारा रचित है और गहन तांत्रिक महत्व रखता है।
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