Mangal Stotra
ऋणमोचक मंगल स्तोत्र, भगवान मंगल (भौम ग्रह) को समर्पित एक प्रभावशाली संस्कृत प्रार्थना है। यह स्तोत्र विशेष रूप से कर्ज मुक्ति, आर्थिक स्थिरता और साहसिक शक्ति प्रदान करने में सहायक माना जाता है। स्कंद पुराण में वर्णित यह स्तुति मंगल दोष निवारण के लिए अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है। इसका विधिपूर्वक पाठ जीवन से ऋण, बाधा और मानसिक तनाव को दूर करता है। मंगलवार के दिन इसका श्रद्धापूर्वक पाठ करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शांति आती है।
ऋणमोचक मंगल स्तोत्रम्
मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः।
स्थिरासनो महाकायः सर्वकर्मविरोधकः॥
लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः।
धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दनः॥
अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः।
वृष्टेः कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रदः॥
एतानि कुजनामानि नित्यं यः श्रद्धया पठेत्।
ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्नुयात्॥
धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम्।
कुमारं शक्तिहस्तं च मङ्गलं प्रणमाम्यहम्॥
स्तोत्रमङ्गारकस्यैतत्पठनीयं सदा नृभिः।
न तेषां भौमजा पीडा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित्॥
अङ्गारक महाभाग भगवन्भक्तवत्सल।
त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशय॥
ऋणरोगादिदारिद्रयं ये चान्ये ह्यपमृत्यवः।
भयक्लेशमनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा॥
अतिवक्त्र दुरारार्ध्य भोगमुक्त जितात्मनः।
तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुश्टो हरसि तत्क्षणात्॥
विरिञ्चिशक्रविष्णूनां मनुष्याणां तु का कथा।
तेन त्वं सर्वसत्त्वेन ग्रहराजो महाबलः॥
पुत्रान् देहि धनं देहि त्वामस्मि शरणं गतः।
ऋणदारिद्रयदुःखेन शत्रूणां च भयात्ततः॥
एभिर्द्वादशभिः श्लोकैर्यः स्तौति च धरासुतम्।
महतिं श्रियमाप्नोति ह्यपरो धनदो युवा॥
॥ इति श्री ऋणमोचक मंगलस्तोत्रम् सम्पूर्णम्॥
इस स्तोत्र का इतिहास और उत्पत्ति क्या है?
यह स्तोत्र स्कंद पुराण के अंतर्गत आता है, जहाँ इसे ऋषियों द्वारा बताई गई एक विशेष साधना के रूप में वर्णित किया गया है। भगवान मंगल को देवताओं में सेनापति माना गया है, और यह स्तोत्र उन्हें प्रसन्न करने हेतु अत्यंत उपयोगी है। इसके पाठ से विशेष रूप से ऋणमोचन यानी कर्ज मुक्ति का फल प्राप्त होता है।
इस स्तोत्र का सर्वोत्तम समय क्या है?
प्रातःकाल (6:00 से 7:30 बजे) मंगलवार को इसका पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
कौन कर सकता है यह पाठ?
यह स्तोत्र कोई भी श्रद्धालु—चाहे स्त्री हो या पुरुष—कर सकता है। विशेष रूप से वे लोग जिन्हें कर्ज की समस्या है, मानसिक अशांति है, या कुंडली में मंगल दोष है, वे इससे विशेष लाभ पा सकते हैं। संस्कृत जानना आवश्यक नहीं; उच्चारण सही तरीके से सीखकर या हिंदी में भावार्थ समझकर भी इसका पाठ किया जा सकता है।
बीज मंत्र
- ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः
- ॐ अं अंगारकाय नमः
- ॐ भौमाय नमः
- ॐ मंगलेश्वराय नमः
- ॐ अंगारकाय नमः
इस स्तोत्र के लाभ क्या है?
ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का नियमित और श्रद्धापूर्वक पाठ करने से व्यक्ति को कर्ज़ से मुक्ति मिलती है और आर्थिक परेशानियाँ दूर होती हैं। यह स्तोत्र विशेष रूप से उन लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी है जिनकी कुंडली में मंगल दोष (कुज दोष) है, या जिन्हें बार-बार धन हानि, ऋण ग्रस्तता, या कोर्ट-कचहरी के मामलों का सामना करना पड़ता है। यह पाठ साहस, आत्मबल और निर्णय क्षमता को भी बढ़ाता है, जिससे व्यक्ति अपने जीवन में स्थिरता और सफलता प्राप्त करता है। इसके प्रभाव से शत्रुओं का नाश, रोगों का शमन और मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है। इसके पाठ से मंगल ग्रह प्रसन्न होते हैं और जीवन में ऊर्जा, सम्मान और समृद्धि का वास होता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्रश्न 1: मंगल स्तोत्र का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
उत्तर: मंगल स्तोत्र का पाठ श्रद्धा और आवश्यकता के अनुसार 11, 21 या 108 बार किया जा सकता है। कर्ज मुक्ति और मंगल दोष शांति के लिए 21 या 108 बार पाठ करना विशेष फलदायी होता है।
प्रश्न 2: क्या मंगल स्तोत्र का पाठ सिर्फ मंगलवार को ही करना चाहिए?
उत्तर: मंगलवार को इसका पाठ करना विशेष शुभ होता है, लेकिन यदि व्यक्ति किसी विशेष संकट या कर्ज से परेशान हो, तो अन्य दिनों में भी श्रद्धा से पाठ किया जा सकता है।
प्रश्न 3: क्या मंगल स्तोत्र का पाठ करने से मंगल दोष कम होता है?
उत्तर: हाँ, यह स्तोत्र विशेष रूप से कुंडली में स्थित मंगल दोष को शांत करने के लिए अत्यंत प्रभावी माना गया है। इसका नियमित पाठ जीवन में शांति, साहस और स्थिरता लाता है।
प्रश्न 4: मंगल स्तोत्र के पाठ के बाद कौन-सा प्रसाद अर्पित करना चाहिए?
उत्तर: मंगल ग्रह से संबंधित प्रसन्नता के लिए पाठ के बाद हनुमान जी को गुड़ और भुने चने का भोग अर्पित करना अत्यंत शुभ माना गया है। यह प्रसाद परिवारजनों में भी बांटना चाहिए।
प्रश्न 5: क्या मंगल स्तोत्र पढ़ने से मानसिक तनाव और चिंता कम होती है?
उत्तर: हाँ, यह स्तोत्र मानसिक तनाव, भय और अस्थिरता को दूर करने में सहायक है। इसका नियमित पाठ करने से आत्मबल बढ़ता है और व्यक्ति को मानसिक रूप से स्थिरता मिलती है।