मासिक शिवरात्रि व्रत का हिन्दू धर्म में गहरा आध्यात्मिक और मानसिक महत्त्व है, जो आत्म-संयम, श्रद्धा और अनुशासन का प्रतीक माना जाता है। व्रत के माध्यम से व्यक्ति न केवल अपने खान-पान और व्यवहार पर नियंत्रण रखता है, बल्कि ईश्वर के प्रति समर्पण और आस्था भी प्रकट करता है। यह अभ्यास मन को शांत करता है, नकारात्मक विचारों को दूर करता है और आंतरिक ऊर्जा को जाग्रत करता है।
2025 मासिक शिवरात्रि व्रत कैलेंडर
माह
मासिक शिवरात्रि तिथि
चतुर्दशी प्रारंभ
चतुर्दशी समाप्ति
उपवास पारण समय
जनवरी
27 जनवरी, सोमवार
27 जनवरी, 08:34 PM
28 जनवरी, 07:35 PM
28 जनवरी, 06:48 AM – 08:12 AM
फरवरी
26 फरवरी, बुधवार
26 फरवरी, 11:08 AM
27 फरवरी, 08:54 AM
27 फरवरी, 06:48 AM – 08:12 AM
मार्च
27 मार्च, गुरुवार
27 मार्च, 11:03 PM
28 मार्च, 07:55 PM
28 मार्च, 06:30 AM – 08:00 AM
अप्रैल
26 अप्रैल, शनिवार
26 अप्रैल, 08:27 AM
27 अप्रैल, 04:49 AM
27 अप्रैल, 06:00 AM – 07:50 AM
मई
25 मई, रविवार
25 मई, 03:51 PM
26 मई, 12:11 PM
26 मई, 06:50 AM – 08:14 AM
जून
23 जून, सोमवार
23 जून, 10:09 PM
24 जून, 06:59 PM
24 जून, 06:35 AM – 08:00 AM
जुलाई
23 जुलाई, बुधवार
23 जुलाई, 04:39 AM
24 जुलाई, 02:28 AM
24 जुलाई, 06:35 AM – 08:00 AM
अगस्त
21 अगस्त, गुरुवार
21 अगस्त, 12:44 PM
22 अगस्त, 11:55 AM
22 अगस्त, 06:35 AM – 08:00 AM
सितंबर
19 सितंबर, शुक्रवार
19 सितंबर, 11:36 PM
21 सितंबर, 12:16 AM
21 सितंबर, 06:35 AM – 08:00 AM
अक्टूबर
19 अक्टूबर, रविवार
19 अक्टूबर, 01:51 PM
20 अक्टूबर, 03:44 PM
20 अक्टूबर, 06:35 AM – 08:00 AM
नवंबर
18 नवंबर, मंगलवार
18 नवंबर, 07:12 AM
19 नवंबर, 09:43 AM
19 नवंबर, 06:35 AM – 08:00 AM
दिसंबर
18 दिसंबर, गुरुवार
18 दिसंबर, 02:32 AM
19 दिसंबर, 04:59 AM
19 दिसंबर, 06:35 AM – 08:00 AM
मासिक शिवरात्रि व्रत की पूजा विधि
सवेरे स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और शिव व्रत का संकल्प लें। जल, फूल, चावल आदि हाथ में लेकर मन ही मन व्रत की कामना दोहराएं।
पूरे दिन फलाहार या निर्जल व्रत रखें। क्रोध, झूठ और नकारात्मक विचारों से दूर रहें और जितना संभव हो, मौन साधना करें।
प्रदोष काल (सूर्यास्त से पहले का समय) में शिवलिंग का गंगाजल, दूध और शहद से अभिषेक करें। बेलपत्र, धतूरा, सफेद फूल, अक्षत, चंदन, भस्म आदि अर्पित करें।
ॐ नमः शिवाय मंत्र का 108 बार जाप करें। उसके बाद शिव आरती करें—“ॐ जय शिव ओंकारा…”। चाहें तो शिव चालीसा या शिव स्तुति का पाठ भी करें।
रात्रि में जागकर भगवान शिव का स्मरण करें, शिवपुराण पढ़ें या भजन-कीर्तन करें। यह विशेष पुण्य प्रदान करता है।
दूसरे दिन प्रातः सूर्योदय के बाद उचित मुहूर्त में व्रत का पारण करें। जल और फल ग्रहण करके व्रत को पूर्ण करें।
मासिक शिवरात्रि से जुड़े प्रमुख प्रश्न (FAQs)
प्रश्न: मासिक शिवरात्रि व्रत का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर: मासिक शिवरात्रि का व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने, आत्मिक शुद्धि प्राप्त करने और जीवन में शांति, समृद्धि व मोक्ष की प्राप्ति हेतु किया जाता है। यह व्रत हर माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है, जो आध्यात्मिक उन्नति के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है।
प्रश्न: क्या मासिक शिवरात्रि व्रत सभी कर सकते हैं?
उत्तर: हाँ, यह व्रत सभी आयु वर्ग के लोग कर सकते हैं। अविवाहित महिलाएं उत्तम जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए, विवाहित महिलाएं पारिवारिक सुख-शांति के लिए, और पुरुष आत्मिक बल व सफलता के लिए इस व्रत का पालन करते हैं।
प्रश्न: क्या मासिक शिवरात्रि व्रत में उपवास नियम होते हैं?
उत्तर: भक्त उपवास के दौरान फलाहार, दूध या निर्जल व्रत रखते हैं। दिनभर संयमित आहार और रात्रि में जागरण के साथ शिवजी का स्मरण करते हैं। अगले दिन सूर्योदय के बाद उचित समय पर व्रत का पारण किया जाता है।
प्रश्न: मासिक शिवरात्रि की पूजा विधि क्या है?
उत्तर: प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। शिवलिंग का गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी आदि से अभिषेक करें। बेलपत्र, धतूरा, सफेद फूल अर्पित करें। “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें और रात्रि में जागरण कर शिवजी की आरती करें।
प्रश्न: मासिक शिवरात्रि व्रत से क्या लाभ हैं?
उत्तर: इस व्रत से मन की शुद्धि, आत्मबल में वृद्धि, रोगों से मुक्ति, पारिवारिक सुख-शांति, और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
प्रश्न: मासिक शिवरात्रि व्रत का पारण कब और कैसे करें?
उत्तर: व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद उचित मुहूर्त में किया जाता है। पारण के समय हल्का आहार जैसे फल, दूध या सात्विक भोजन ग्रहण करें और भगवान शिव का धन्यवाद करें।
प्रश्न: क्या मासिक शिवरात्रि व्रत में रात्रि जागरण आवश्यक है?
उत्तर: हाँ, रात्रि जागरण (जागरण) मासिक शिवरात्रि व्रत का एक महत्वपूर्ण अंग है। यह आत्मिक जागरूकता और भगवान शिव के प्रति भक्ति को दर्शाता है। जागरण के दौरान भजन, कीर्तन और मंत्र जाप करना शुभ माना जाता है।