Matsya Stotram

मत्स्य स्तोत्र

मत्स्य स्तोत्र भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की स्तुति में रचित एक पावन स्तोत्र है। मत्स्य अवतार, विष्णु के दस अवतारों (दशावतार) में पहला अवतार है, जिसमें उन्होंने एक विशाल मछली (मत्स्य) का रूप लेकर प्रलय काल में वेदों की रक्षा की और मनु को नई सृष्टि का ज्ञान दिया।

॥ मत्स्यस्तोत्रम् ॥

श्रीगणेशाय नमः ।

नूनं त्वं भगवान्साक्षाद्धरिर्नारायणोऽव्ययः ।
अनुग्रहाय भूतानां धत्से रूपं जलौकसाम् ॥

नमस्ते पुरुषश्रेष्ठ स्थित्युत्पत्त्यप्ययेश्वर ।
भक्तानां नः प्रपन्नानां मुख्यो ह्यात्मगतिर्विभो ॥

सर्वे लीलावतारास्ते भूतानां भूतिहेतवः ।
ज्ञातुमिच्छाम्यदो रूपं यदर्थं भवता धृतम् ॥

न तेऽरविन्दाक्ष पदोपसर्पणं मृषा भवेत्सर्वसुहृत्प्रियात्मनः ।
यथेतरेषां पृथगात्मनां सतामदीदृशो यद्वपुरद्भुतं हि नः ॥

॥ इति श्रीमद्भागवतपुराणान्तर्गतं मत्स्यस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥