Rahu Chalisa
|| दोहा ||
नमो नमो श्री राहु सुखकारी।
सभी कष्टों को हरने वाले, भक्तों को सुख देने वाले॥
जयति जयति श्री राहु महाराज।
भव बंधन से करते सबका उद्धार॥
|| चौपाई ||
जयति जयति श्री राहु दयाला।
सदा भक्तन के संकट हारा॥
सर्पाकार, फणी धर शेषा।
राहु देव, संकट हरनेवाला॥
सिर कटे पर धड़ ना छोड़ा।
अमृत पान किया संत मोड़ा॥
राहु केतु, कालग्रह जाने।
सभी संकटों को दूर भगाने॥
सर्पाकार, छाया ग्रह माने।
सभी जनों के दुख हर जाने॥
केतु राहु संग्राम मचाया।
देवताओं को भी डराया॥
भानु ग्रास, चंद्र को धाया।
सभी ग्रहों पर प्रभाव दिखाया॥
राहु-केतु छाया ग्रह भारे।
सभी ग्रहों में राहु न्यारे॥
राहु दोष जो जनम कुंडली।
राहु चालीसा करें निरंतर॥
जीवन में सभी कष्ट मिटावे।
राहु देव कृपा बरसावे॥
भक्त जो राहु देव को ध्यावे।
सभी संकटों को हर लावे॥
राहु ग्रह का प्रभाव हटावे।
सभी जनों को सुख दिलावे॥
कालसर्प दोष भी टारे।
राहु चालीसा जो जन गावे॥
राहु ग्रह के मंत्र जपे जो।
जीवन में सब सुख पावे सो॥
शत्रु से जो भयभीत होवे।
राहु देव का ध्यान धरावे॥
राहु देव की शरण जो आवे।
सभी कष्टों से मुक्ति पावे॥
राहु देव का ध्यान लगावे।
जीवन में सुख शांति पावे॥
राहु देव का यश गावे।
सभी संकट दूर भगावे॥
भक्ति भाव से राहु देव को।
जो भी भक्त सुमिरे मन में॥
सभी संकट, कष्ट मिटावे।
राहु देव कृपा बरसावे॥
राहु देव की शरण जो आवे।
जीवन में सभी सुख पावे॥
राहु देव का यश गावे।
सभी संकट दूर भगावे॥
कृपा दृष्टि राहु देव की।
जो भी भक्त मन में ध्यावे॥
राहु देव के चरणों में।
सभी भक्त शीश नवावे॥
भानु चंद्र जो राहु ग्रसे।
सभी ग्रहों पर राहु बसे॥
राहु देव की महिमा न्यारी।
सभी ग्रहों में राहु भारी॥
सर्पाकार राहु देव का।
जो भी भक्त सुमिरे मन में॥
राहु ग्रह का दोष मिटावे।
सभी जनों को सुख दिलावे॥
कृपा दृष्टि राहु देव की।
सभी भक्तों को सुख पावे॥
भानु चंद्र जो राहु ग्रसे।
सभी ग्रहों पर राहु बसे॥
राहु देव की महिमा न्यारी।
सभी ग्रहों में राहु भारी॥
सर्पाकार राहु देव का।
जो भी भक्त सुमिरे मन में॥
राहु ग्रह का दोष मिटावे।
सभी जनों को सुख दिलावे॥
भानु चंद्र जो राहु ग्रसे।
सभी ग्रहों पर राहु बसे॥
राहु देव की महिमा न्यारी।
सभी ग्रहों में राहु भारी॥
सर्पाकार राहु देव का।
जो भी भक्त सुमिरे मन में॥
|| दोहा ||
नमो नमो श्री राहु सुखकारी।
सभी कष्टों को हरने वाले, भक्तों को सुख देने वाले॥
जयति जयति श्री राहु महाराज।
भव बंधन से करते सबका उद्धार॥