Shri Bheem Chalisa

Shri Bheem Chalisa

श्री गुरु चरण स्पर्श कर कीन्ह उन्हें प्रनाम।
जो दलितों के दुःख हरते बाबा साहेब है नाम।

ज्ञान हीन करें उनकी सेवा मन से पढ़ें संविधान।
ज्ञान शक्ति भरपूर मिलै बदलै अपना संपूर्ण विधान।

जय भीमराव ज्ञान बुद्धि के सागर।
जय भीम करते जीवन उजागर।

मां भारती के दूत तुम अतुलित ज्ञानी।
दलितों को आजाद कराने की ठानी।

महाज्ञानी तुम वीर शिखर।
मनोबल से शत्रु गये बिखर।

हाथ कलम तुम्हारे विराजे।
देख इसे अन्यायी सब भाजे।

लिख संविधान किए उजियारे।
अन्यायी नियम तोड़ दिए सारे।

वीर पुत्र भीमाबाई के नंदन।
तुमको करें सब जग वंदन।

गुणवान तुम अति चातुर।
नेक कार्य करने को आतुर।

महिमा तुम्हारी सुनवे को तरसे।
लड़ने समाज से निकले घर से।

कितने अवतार लेकर तुमने दिखाए।
कितने रूपों की हम महिमा गाए।

लिख संविधान बाबा साहेब कहलाए।
तुमने हमें आजादी के ताज पहनाए।

लाए शक्ति तुम हम सबको भाये।
दलितों में तुम खूब हर्ष फैलाए।

फिर सबने कीन्ही बहुत चढ़ाई।
तुमने डटकर खूब लड़ी लड़ाई।

सब बदन बाबा साहेब का गुण गावै।
महान विचार तुम्हारे हम कंठ लगावै।

ज्ञान से अपने तुमने दिए सब हराए।
जीत लिए तुमने अपने और पराये।

नहीं किया अन्य की भांति आडंबर।
महिमा गा रहे हैं धरती और अंबर।

तुम उपकार दलितों पर कीन्हा।
लड़कर सबको आजाद कर दीन्हा।

तुमरी शक्ति सब जग जानी।
पिघल के गिरे सब अभिमानी।

युग युगों तक नहीं हुआ ऐसा ज्ञानी।
देख शक्ति छींड़ हुए सब अभिमानी।

भगवान बुद्ध के तुम सेवक महान।
शक्ति से तुमरी अचरज करें जहान।

काम तुमरो महान,न होय कोई शंका।
बन भगवान जलाई गुलामी की लंका।

दलितों के रक्षक तुम भगवान हमारे।
हम आजाद नहीं होत बिन तुम्हारे।

लिख संविधान तुमने देश बनाया।
तुमने अमरता का ताज पहनाया।

तुमरे तेज से स्वंय दिवा भी कांपे।
आ आकर सब मनोबल तुम्हारा नांपे।

दुष्ट अंग्रेज निकट नहीं आवै।
जय भीमराव जब नाम सुनावै।

नाम सुन तुम्हारा अंग्रेज सब भाजा।
दलितों के काज सकल तुम साजा।

और महिमा तुम्हारी जो कोई गावै।
सोई अमित जीवन को फल पावै।

चारो ओर फैले ज्ञान तुम्हारा।
अंधकार भगाये करत उजियारा।

दलित वंचितों के तुम रखवारे।
तुमरी भक्ति करें हम सब सारे।

दी शक्ति तुम दलितों के दाता।
ईश्वर परमेश्वर तुम भाग्य विधाता।

भारत संविधान तुमरे पासा।
सदा रहें हम सब तुमरे दासा।

नास कर अन्याय का हर ली सब पीर।
रवि को भी हराया तुमने तुम रणधीर।

संकट गुलामी के तुमने छुड़ाये।
देकर शक्ति उड़ानें नई उड़ाये।

तुमरो संविधान सब जन को भावै।
जो सब देश को प्रगतिशील बनावै।

अंत काल तक संविधान पढ़ै पढ़ाई।
और शिक्षा को मोल दियो बताई।

और शत्रु नाप न सकै शक्ति।
जो करै संविधान की भक्ति।

दुःख हरे सब दलितों के तुम स्वामी।
भगवान बुद्ध के सेवक महापुरुष नामी।

जय जय जय भीम महान।
भक्ति करै सब सकल जहान।

मन से भक्ति करै तुमरी कोई।
जाग जाए सब जो ज्ञान से सोई।

जो पढ़ै यह भीम की कविता।
उदित हो जाए ज्ञान की सविता।

प्रेमशंकर करें तुम्हारी भक्ति में डेरा।
कीजै नाथ हृदय महैं तुम बसेरा।

दोहा

पवन बनकर गुलामी के क्षितिज में, दुख के बादल किए सब छींड़।
रवि बनकर सब अंधकार मिटाया,सब दलितों के बनाए नये नींड़।

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