Shri Chamunda Chalisa Lyrics PDF- श्री चामुण्डा देवी चालीसा

चामुंडा माता देवी दुर्गा का क्रोधित रूप है। वह शक्ति, विनाश और सुरक्षा की अधिष्ठात्री देवी हैं, खास तौर पर बुरी शक्तियों का नाश करने वाली। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, चामुंडा देवी ने चंड और मुंड नामक दो राक्षसों का वध किया था, जिसके कारण लोग उन्हें चामुंडा कहने लगे। उन्हें देवी दुर्गा की दस महाविद्याओं में से एक के रूप में भी पूजा जाता है, लेकिन वे अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं।

इनकी आराधना विशेष रूप से नवरात्रि, अष्टमी और अमावस्या के दिन की जाती है। मान्यता है कि चामुंडा माता की पूजा करने से नकारात्मक ऊर्जा, भय, भूत-प्रेत बाधा, और मानसिक कमजोरी से मुक्ति मिलती है। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित चामुंडा नंदिकेश्वर धाम को इनका प्रमुख शक्ति पीठ माना जाता है, जहाँ देशभर से श्रद्धालु देवी के दर्शन को आते हैं।

Shri Chamunda Chalisa
श्री चामुण्डा देवी चालीसा

॥ दोहा ॥

नीलवरण मा कालिका रहती सदा प्रचंड ।
दस हाथो मई ससत्रा धार देती दुस्त को दांड्ड़ ॥

मधु केटभ संहार कर करी धर्म की जीत ।
मेरी भी बढ़ा हरो हो जो कर्म पुनीत ॥

॥ चौपाई ॥

नमस्कार चामुंडा माता । तीनो लोक मई मई विख्याता ॥
हिमाल्या मई पवितरा धाम है । महाशक्ति तुमको प्रडम है ॥

मार्कंडिए ऋषि ने धीयया । कैसे प्रगती भेद बताया ॥
सूभ निसुभ दो डेतिए बलसाली । तीनो लोक जो कर दिए खाली ॥

वायु अग्नि याँ कुबेर संग । सूर्या चंद्रा वरुण हुए तंग ॥
अपमानित चर्नो मई आए । गिरिराज हिमआलये को लाए ॥

भद्रा-रॉंद्र्रा निट्टया धीयया । चेतन शक्ति करके बुलाया ॥
क्रोधित होकर काली आई । जिसने अपनी लीला दिखाई ॥

चंदड़ मूंदड़ ओर सुंभ पतए । कामुक वेरी लड़ने आए ॥
पहले सुग्गृीव दूत को मारा । भगा चंदड़ भी मारा मारा ॥

अरबो सैनिक लेकर आया । द्रहूँ लॉकंगन क्रोध दिखाया ॥
जैसे ही दुस्त ललकारा । हा उ सबद्ड गुंजा के मारा ॥

सेना ने मचाई भगदड़ । फादा सिंग ने आया जो बाद ॥
हत्टिया करने चंदड़-मूंदड़ आए । मदिरा पीकेर के घुर्रई ॥

चतुरंगी सेना संग लाए । उचे उचे सीविएर गिराई ॥
तुमने क्रोधित रूप निकाला । प्रगती डाल गले मूंद माला ॥

चर्म की सॅडी चीते वाली । हड्डी ढ़ाचा था बलसाली ॥
विकराल मुखी आँखे दिखलाई । जिसे देख सृिस्टी घबराई ॥

चंदड़ मूंदड़ ने चकरा चलाया । ले तलवार हू साबद गूंजाया ॥
पपियो का कर दिया निस्तरा । चंदड़ मूंदड़ दोनो को मारा ॥

हाथ मई मस्तक ले मुस्काई । पापी सेना फिर घबराई ॥
सरस्वती मा तुम्हे पुकारा । पड़ा चामुंडा नाम तिहरा ॥

चंदड़ मूंदड़ की मिरतट्यु सुनकर । कालक मौर्या आए रात पर ॥
अरब खराब युध के पाठ पर । झोक दिए सब चामुंडा पर ॥

उगर्र चंडिका प्रगती आकर । गीडदीयो की वाडी भरकर ॥
काली ख़टवांग घुसो से मारा । ब्रह्माड्ड ने फेकि जल धारा ॥

माहेश्वरी ने त्रिशूल चलाया । मा वेश्दवी कक्करा घुमाया ॥
कार्तिके के शक्ति आई । नार्सिंघई दित्तियो पे छाई ॥

चुन चुन सिंग सभी को खाया । हर दानव घायल घबराया ॥
रक्टतबीज माया फेलाई । शक्ति उसने नई दिखाई ॥

रक्त्त गिरा जब धरती उपर । नया डेतिए प्रगता था वही पर ॥
चाँदी मा अब शूल घुमाया । मारा उसको लहू चूसाया ॥

सूभ निसुभ अब डोडे आए । सततर सेना भरकर लाए ॥
वाज्ररपात संग सूल चलाया । सभी देवता कुछ घबराई ॥

ललकारा फिर घुसा मारा । ले त्रिसूल किया निस्तरा ॥
सूभ निसुभ धरती पर सोए । डेतिए सभी देखकर रोए ॥

कहमुंडा मा ध्ृम बचाया । अपना सूभ मंदिर बनवाया ॥
सभी देवता आके मानते । हनुमत भेराव चवर दुलते ॥

आसवीं चेट नवराततरे अओ । धवजा नारियल भेट चाड़ौ ॥
वांडर नदी सनन करऔ । चामुंडा मा तुमको पियौ ॥

॥ दोहा ॥

सरणागत को शक्ति दो हे जाग की आधार ।
‘ओम’ ये नेया दोलती कर दो भाव से पार ॥

॥ इति चामुण्डा देवी चालीसा सम्पूर्णम ॥

बीज मंत्र सूची

  • ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे
  • क्लीं ह्रीं ऐं चामुण्डायै विच्चे
  • ॐ ह्रीं चामुण्डायै नमः
  • ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै नमः

प्रमुख चामुंडा मंदिर

  • चामुंडा नंदिकेश्वर धाम, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश
  • चामुंडा देवी मंदिर, सवाई माधोपुर, राजस्थान

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