Vindhyavasini Chalisa
विंध्यवासिनी चालीसा एक भक्ति ग्रंथ है जिसमें 40 चौपाइयों के माध्यम से देवी विंध्यवासिनी की महिमा का गुणगान किया गया है। यह पाठ देवी की शक्ति, करुणा और भक्तों पर उनकी कृपा को जागृत करता है। यह उन लोगों के लिए विशेष रूप से सहायक है जो जीवन में संघर्ष, भय, आर्थिक तंगी या मानसिक अशांति से जूझ रहे हैं।
विंध्यवासिनी चालीसा
॥ दोहा ॥
नमो नमो विन्ध्येश्वरी,नमो नमो जगदम्ब ।
सन्तजनों के काज में,करती नहीं विलम्ब ॥
|| चौपाई ||
जय जय जय विन्ध्याचल रानी।
आदिशक्ति जगविदित भवानी ॥
सिंहवाहिनी जै जगमाता ।
जै जै जै त्रिभुवन सुखदाता ॥
कष्ट निवारण जै जगदेवी ।
जै जै सन्त असुर सुर सेवी ॥
महिमा अमित अपार तुम्हारी ।
शेष सहस मुख वर्णत हारी ॥
दीनन को दु:ख हरत भवानी ।
नहिं देखो तुम सम कोउ दानी ॥
सब कर मनसा पुरवत माता ।
महिमा अमित जगत विख्याता ॥
जो जन ध्यान तुम्हारो लावै ।
सो तुरतहि वांछित फल पावै ॥
तुम्हीं वैष्णवी तुम्हीं रुद्रानी ।
तुम्हीं शारदा अरु ब्रह्मानी ॥
रमा राधिका श्यामा काली ।
तुम्हीं मातु सन्तन प्रतिपाली ॥
उमा माध्वी चण्डी ज्वाला ।
वेगि मोहि पर होहु दयाला ॥
तुम्हीं हिंगलाज महारानी ।
तुम्हीं शीतला अरु विज्ञानी ॥
दुर्गा दुर्ग विनाशिनी माता ।
तुम्हीं लक्ष्मी जग सुख दाता ॥
तुम्हीं जाह्नवी अरु रुद्रानी ।
हे मावती अम्ब निर्वानी ॥
अष्टभुजी वाराहिनि देवा ।
करत विष्णु शिव जाकर सेवा ॥
चौंसट्ठी देवी कल्यानी ।
गौरि मंगला सब गुनखानी ॥
पाटन मुम्बादन्त कुमारी ।
भाद्रिकालि सुनि विनय हमारी ॥
बज्रधारिणी शोक नाशिनी ।
आयु रक्षिनी विन्ध्यवासिनी ॥
जया और विजया वैताली ।
मातु सुगन्धा अरु विकराली ॥
नाम अनन्त तुम्हारि भवानी ।
वरनै किमि मानुष अज्ञानी ॥
जापर कृपा मातु तब होई ।
जो वह करै चाहे मन जोई ॥
कृपा करहु मोपर महारानी ।
सिद्ध करहु अम्बे मम बानी ॥
जो नर धरै मातु कर ध्याना ।
ताकर सदा होय कल्याना ॥
विपति ताहि सपनेहु नाहिं आवै ।
जो देवीकर जाप करावै ॥
जो नर कहँ ऋण होय अपारा ।
सो नर पाठ करै शत बारा ॥
निश्चय ऋण मोचन होई जाई ।
जो नर पाठ करै चित लाई ॥
अस्तुति जो नर पढ़े पढ़अवे ।
या जग में सो बहु सुख पावे ॥
जाको व्याधि सतावे भाई ।
जाप करत सब दूर पराई ॥
जो नर अति बन्दी महँ होई ।
बार हजार पाठ करि सोई ॥
निश्चय बन्दी ते छुट जाई ।
सत्य वचन मम मानहु भाई ॥
जापर जो कछु संकट होई ।
निश्चय देविहिं सुमिरै सोई ॥
जा कहँ पुत्र होय नहिं भाई ।
सो नर या विधि करे उपाई ॥
पाँच वर्ष जो पाठ करावै ।
नौरातन महँ विप्र जिमावै ॥
निश्चय होहिं प्रसन्न भवानी ।
पुत्र देहिं ता कहँ गुणखानी ॥
ध्वजा नारियल आन चढ़ावै ।
विधि समेत पूजन करवावै ॥
नित प्रति पाठ करै मन लाई ।
प्रेम सहित नहिं आन उपाई ॥
यह श्री विन्ध्याचल चालीसा ।
रंक पढ़त होवे अवनीसा ॥
यह जन अचरज मानहु भाई ।
कृपा दृश्टि जापर होइ जाई ॥
जै जै जै जग मातु भवानी ।
कृपा करहु मोहि निज जन जानी ॥
श्री विंध्यवासिनी चालीसा के लाभ:
- जीवन के कठिन दौर में मानसिक शांति और आत्मबल मिलता है।
- दुश्मनों, बुरी शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा होती है।
- संतान प्राप्ति, विवाह, करियर और गृहस्थ जीवन से जुड़ी समस्याओं में चमत्कारी रूप से सहायता मिलती है।
- आर्थिक संकट, कर्ज और भय जैसी समस्याएं दूर होती हैं।
- साधना और भक्ति के मार्ग पर मन एकाग्र रहता है।
पाठ करने का सही समय क्या है?
- मंगलवार और शुक्रवार को विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
- नवरात्रों, पूर्णिमा, और अष्टमी के दिन पाठ करने से अत्यधिक फल प्राप्त होता है।
- रोज़ सुबह या शाम को शांत मन से पाठ करना लाभदायक होता है।
मुख्य बीज मंत्र:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे
श्री विंध्यवासिनी चालीसा से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
इसका नियमित पाठ मानसिक शांति, आत्मबल, और जीवन में संतुलन लाता है। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और भक्तों की मनोकामनाएँ पूर्ण करता है।
प्रातःकाल (सुबह) और संध्या (शाम) के समय इसका पाठ करना शुभ माना जाता है। विशेष रूप से मंगलवार, शुक्रवार, नवरात्रि, पूर्णिमा, और अष्टमी के दिन पाठ करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं।
हां, कोई भी व्यक्ति, चाहे वह किसी भी धर्म या पृष्ठभूमि से हो, श्रद्धा और भक्ति के साथ इसका पाठ कर सकता है।
इस चालीसा में कुल 40 चौपाइयाँ होती हैं, जो माता विंध्यवासिनी की महिमा और लीलाओं का वर्णन करती हैं।
शांत और स्वच्छ स्थान पर बैठकर, दीपक जलाकर, माता विंध्यवासिनी की प्रतिमा या चित्र के सामने श्रद्धा से इसका पाठ करें।
भक्तों का विश्वास है कि इसका नियमित पाठ करने से आर्थिक समस्याएं कम होती हैं और समृद्धि प्राप्त होती है।
यह चालीसा आत्मा को शुद्ध करती है, भक्ति भाव बढ़ाती है, और माता विंध्यवासिनी के प्रति गहरा संबंध स्थापित करती है।
कुछ ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, इसका पाठ करने से राहु, केतु, और शनि जैसे ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं।
यह व्यक्ति की श्रद्धा पर निर्भर करता है, लेकिन नियमित रूप से एक बार पाठ करना लाभकारी होता है।
हां, यह माना जाता है कि इसका पाठ करने से प्रेम, समझदारी, और संबंधों में मधुरता आती है।
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