सूर्य स्तोत्र भगवान सूर्य के 21 दिव्य नामों का स्मरण है। इसे ब्रह्म पुराण में ‘स्तोत्रराज’ यानी सभी स्तोत्रों का राजा कहा गया है। इसके नियमित पाठ से स्वास्थ्य सुधरता है, मानसिक शांति मिलती है, यश और समृद्धि प्राप्त होती है, और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। सूर्य पूजा उन लोगों के लिए बहुत अच्छी है जो नौकरी, करियर या व्यक्तिगत जीवन में लगातार संघर्ष कर रहे हैं।
सूर्य स्तोत्रम्
ब्रह्मा विष्णुश्च रुद्रश्च ईश्वरश्च सदाशिवः ।
पञ्चब्रह्ममयाकाराः येन जाता नमामि तम् ॥ १॥
कालात्मा सर्वभूतात्मा वेदात्मा विश्वतोमुखः ।
जन्ममृत्युजराव्याधिसंसारभयनाशनः ॥ २॥
ब्रह्मस्वरूप उदये मध्याह्ने तु सदाशिवः ।
अस्तकाले स्वयं विष्णुस्त्रयीमूर्तिर्दिवाकरः ॥ ३॥
कचक्रो रथो यस्य दिव्यः कनकभूषितः ।
सोऽयं भवतु नः प्रीतः पद्महस्तो दिवाकरः ॥ ४॥
पद्महस्तः परञ्ज्योतिः परेशाय नमो नमः ।
अण्डयोने कर्मसाक्षिन्नादित्याय नमो नमः ॥ ५॥
कमलासन देवेश कर्मसाक्षिन्नमो नमः ।
धर्ममूर्ते दयामूर्ते तत्त्वमूर्ते नमो नमः ॥ ६॥
सकलेशाय सूर्याय सर्वज्ञाय नमो नमः ।
क्षयापस्मारगुल्मादिव्याधिहन्त्रे नमो नमः ॥ ७॥
सर्वज्वरहरं चैव सर्वरोगनिवारणम् ।
स्तोत्रमेतच्छिवप्रोक्तं सर्वसिद्धिकरं परम् ॥ ८॥
सर्वसम्पत्करं चैव सर्वाभीष्टप्रदायकम् ॥
इति सूर्यस्तोत्रं सम्पूर्णम् ।
इस स्तोत्र का इतिहास क्या है?
सूर्य स्तोत्र का वर्णन प्राचीन ब्रह्म पुराण में मिलता है। यह ऋषियों द्वारा रचित वह स्तुति है जिसे स्वयं देवताओं ने भी उच्च सम्मान दिया है। भगवान सूर्य को अर्पित यह स्तोत्र उनके तेज, ऊर्जा, और जीवनदायी शक्तियों की महिमा का गुणगान करता है। इसकी साधना से साधक को आध्यात्मिक बल और आत्मिक शुद्धि की प्राप्ति होती है।
इस स्तोत्र का पाठ करने का सर्वोत्तम समय कब है?
इस स्तोत्र का पाठ सुबह सूर्योदय के समय या शाम को सूर्यास्त के समय करना विशेष फलदायक होता है। रविवार को इसका पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि यह दिन सूर्य देव को समर्पित है। इस समय सूर्य को जल अर्पित कर पाठ करने से अत्यंत सकारात्मक परिणाम मिलते हैं।
इस स्तोत्र का पाठ कौन कौन लोग कर सकते हैं?
सूर्य स्तोत्र का पाठ कोई भी इच्छुक व्यक्ति कर सकता है — स्त्री या पुरुष, युवा या वृद्ध, सभी के लिए यह समान रूप से फलदायी है। शुद्ध मन, श्रद्धा और नियम से किया गया पाठ व्यक्ति के जीवन में आश्चर्यजनक सकारात्मक बदलाव ला सकता है।
इस स्तोत्र का पाठ करने के लाभ क्या हैं?
- स्वास्थ्य में सुधार
- आत्मबल और आत्मविश्वास की वृद्धि
- मानसिक शांति
- नेत्र रोगों में लाभ
- नकारात्मक ऊर्जा का नाश
बीज मंत्र
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. सूर्य स्तोत्र क्या है?
उत्तर: सूर्य स्तोत्र एक वैदिक स्तुति है जो भगवान सूर्य की उपासना के लिए रचा गया है। यह स्तोत्र सूर्य देव की शक्ति, प्रकाश और जीवनदायिनी ऊर्जा का गुणगान करता है।
2. सूर्य स्तोत्र किसने रचा था?
उत्तर: सूर्य स्तोत्र के कई संस्करण हैं, जिनमें से एक प्रसिद्द स्तोत्र आदित्य हृदय स्तोत्र है, जिसे महर्षि अगस्त्य ने श्रीराम को सुनाया था। कुछ सूर्य स्तोत्र ‘संस्कृत कवियों’ जैसे मयूूर भट्ट द्वारा भी रचे गए हैं।
3. सूर्य स्तोत्र का पाठ कब करना चाहिए?
उत्तर: सूर्य स्तोत्र का पाठ प्रातःकाल सूर्योदय से पहले या सूर्योदय के समय करना श्रेष्ठ माना जाता है। इससे शरीर और मन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
4. क्या सूर्य स्तोत्र सभी लोग पढ़ सकते हैं?
उत्तर: हाँ, सूर्य स्तोत्र का पाठ कोई भी कर सकता है, चाहे वह स्त्री हो या पुरुष। इसे श्रद्धा और नियम से पढ़ने की आवश्यकता होती है।
5. क्या सूर्य स्तोत्र का पाठ विशेष दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए?
उत्तर: हाँ, पाठ करते समय पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना श्रेष्ठ माना गया है, क्योंकि यह सूर्य के उदय की दिशा होती है।