Vindhyavasini Stotram
विंध्यवासिनी स्तोत्र देवी विंध्यवासिनी की स्तुति में रचा गया एक शक्तिशाली स्तोत्र है, जो शक्ति, साहस और समृद्धि प्रदान करता है। यह स्तोत्र नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करता है और जीवन में शुभता लाता है। नियमित पाठ से मानसिक तनाव कम होता है और कार्यों में सफलता मिलती है। यह साधकों को आंतरिक ऊर्जा और स्थिरता प्रदान करता है। विशेषकर नवरात्रि में इसका पाठ अत्यधिक फलदायी माना जाता है।
श्री विन्ध्येश्वरी स्तोत्रम्
निशुम्भशुम्भमर्दिनीं प्रचण्डमुण्डखण्डिनीम्।
वने रणे प्रकाशिनीं भजामि विन्ध्यवासिनीम्॥ १॥
हिंदी अर्थ: मैं उस दिव्य शक्ति की आराधना करता हूँ जो राक्षसों निशुम्भ और शुम्भ का संहार करने वाली हैं। जो मुण्ड और चण्ड जैसे दैत्यों का विनाश करने वाली हैं, और युद्धभूमि हो या अंधकारमय वन – हर स्थान को अपने तेज से प्रकाशित कर देती हैं। वो माँ दुर्गा, जो विन्ध्याचल पर्वत पर विराजमान हैं, सच्चे श्रद्धा से उनकी वंदना करता हूँ।
त्रिशूलमुण्डधारिणीं धराविघातहारिणीम्।
गृहे गृहे निवासिनीं भजामि विन्ध्यवासिनीम्॥ २॥
हिंदी अर्थ: मैं उस माँ विन्ध्यवासिनी की पूजा करता हूँ, जो अपने हाथों में त्रिशूल और दैत्यों के मुण्ड धारण करती हैं, जो इस धरती से संकटों और पीड़ा को दूर करती हैं, और जो प्रत्येक घर में निवास करती हैं, जहाँ उन्हें श्रद्धा और भक्ति के साथ पुकारा जाता है।
दरिद्रदुःखहारिणीं सतां विभूतिकारिणीम्।
वियोगशोकहारिणीं भजामि विन्ध्यवासिनीम्॥ ३॥
हिंदी अर्थ: दरिद्रजनों का दुःख दूर करने वाली, सत्पुरुषों को वैभव और सम्मान प्रदान करने वाली तथा वियोगजनित शोक को हरने वाली माँ विन्ध्यवासिनी की मैं श्रद्धा से आराधना करता हूँ।
लसत्सुलोललोचनां लतां सदा वरप्रदाम्।
कपालशूलधारिणीं भजामि विन्ध्यवासिनीम्॥ ४॥
हिंदी अर्थ: चंचल और सुंदर नेत्रों से युक्त, हमेशा अपने भक्तों को आशीर्वाद देने वाली, लताओं की तरह कोमल और सुंदर रूप वाली तथा अपने हाथों में कपाल और त्रिशूल धारण करने वाली भगवती विन्ध्यवासिनी की मैं पूजा करता हूँ।
करे मुदा गदाधरां शिवां शिवप्रदायिनीम्।
वरावराननां शुभां भजामि विन्ध्यवासिनीम्॥ ५॥
हिंदी अर्थ: माँ विन्ध्यवासिनी जिनके हाथ में गदा है, और जिनका रूप सदैव प्रसन्न और शुभ है। वे शिव की आशीर्वाद देने वाली हैं और अपने भक्तों को वरदान देने वाली हैं। जिनकी पूजा से हर कोई शुभ फल और शांति प्राप्त करता है, ऐसी माँ विन्ध्यवासिनी की मैं आराधना करता हूँ।
ऋषीन्द्रजामिनप्रदां त्रिधास्यरूपधारिणीम्।
जले स्थले निवासिनीं भजामि विन्ध्यवासिनीम्॥ ६॥
हिंदी अर्थ: जो ऋषियों को अपने दर्शन से आशीर्वाद देती हैं, जिनका रूप त्रिदेवों की तरह अत्यंत शक्तिशाली और दिव्य है, और जो जल, थल तथा आकाश में निवास करती हैं — ऐसी माँ विन्ध्यवासिनी की मैं पूजा करता हूँ।
विशिष्टसृष्टिकारिणीं विशालरूपधारिणीम्।
महोदरां विशालिनीं भजामि विन्ध्यवासिनीम्॥ ७॥
हिंदी अर्थ: मैं उन भगवती विन्ध्यवासिनी की आराधना करता हूँ, जो विशिष्ट सृष्टि की रचनाकार हैं, विशाल रूप में समाई हुई हैं, और जिनका रूप और प्रभाव व्यापक और महान है।
पुरन्दरादिसेवितां मुरादिवंशखण्डिनीम्।
विशुद्धबुद्धिकारिणीं भजामि विन्ध्यवासिनीम्॥ ८॥
हिंदी अर्थ: जो भगवान इन्द्र और अन्य देवताओं द्वारा पूजा जाने वाली हैं, जो राक्षसों के वंश का नाश करने वाली हैं और जो अपने भक्तों के मन में शुद्ध बुद्धि उत्पन्न करने वाली हैं, ऐसी भगवती विन्ध्यवासिनी की मैं आराधना करता हूँ।
॥ इति श्रीविन्ध्येश्वरीस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
इस स्तोत्र का इतिहास और उत्पत्ति क्या है?
विंध्यवासिनी देवी को दुर्गा का रूप माना गया है जो विंध्याचल पर्वत क्षेत्र में निवास करती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, तब उनकी बहन योगमाया (देवी) ने कंस के हाथों बचकर विंध्याचल में निवास किया और वहीं विंध्यवासिनी कहलाईं। यह स्तोत्र उन्हीं देवी को समर्पित है, जिनकी शक्ति से भक्तों की मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और जीवन की कठिनाइयाँ दूर होती हैं।
इस स्तोत्र का सर्वोत्तम समय क्या है?
- सूर्योदय (प्रातःकाल) या सूर्यास्त (संध्या) का समय श्रेष्ठ माना जाता है।
- नवरात्रि, पूर्णिमा और अमावस्या के दिन विशेष प्रभावशाली होते हैं।
- व्रत या उपवास के समय भी इसका पाठ शुभ होता है।
यह स्तोत्र कौन पढ़ सकता है?
- कोई भी व्यक्ति — पुरुष या महिला, किसी भी आयु का — श्रद्धा और भक्ति से इसका पाठ कर सकता है।
- मानसिक शांति, शक्ति, या भय से मुक्ति चाहने वाले इसे विशेष रूप से पढ़ते हैं।
- साधक, गृहस्थ, विद्यार्थी सभी इस स्तोत्र से लाभ उठा सकते हैं।
बीज मंत्र
- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे
- ॐ विंध्यवासिन्यै नमः
- ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं विंध्यवासिन्यै नमः
- ॐ नमो भगवत्यै विंध्यवासिन्यै
- ॐ दुं दुर्गायै नमः
इस स्तोत्र के लाभ क्या है?
विंध्यवासिनी स्तोत्र का श्रद्धा और नियमपूर्वक पाठ करने से साधक को मानसिक, आध्यात्मिक और सांसारिक तीनों स्तरों पर विशेष लाभ प्राप्त होते हैं। यह स्तोत्र देवी विंध्यवासिनी की कृपा को आकर्षित करने वाला शक्तिशाली माध्यम है, जिससे न केवल डर, चिंता और दुर्भाग्य दूर होते हैं, बल्कि साधक के भीतर आत्मविश्वास, साहस और ऊर्जा का संचार होता है। यह स्तुति साधना, शुद्धता और आराधना का ऐसा सरल मार्ग है, जो कठिन परिस्थितियों में भी आस्था को दृढ़ बनाता है।
जो व्यक्ति जीवन में रुकावटों, शत्रु बाधाओं या आर्थिक कठिनाइयों से जूझ रहा हो, उसके लिए यह स्तोत्र दिव्य कवच की तरह कार्य करता है। साथ ही, यह घर में सुख-शांति बनाए रखने, परिवारिक कलह समाप्त करने और संतान सुख पाने में भी सहायक माना गया है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
प्रश्न 1: विंध्यवासिनी स्तोत्र का पाठ किस समय करना सर्वोत्तम होता है?
उत्तर: प्रातःकाल और संध्या समय इसका पाठ सबसे शुभ माना जाता है। नवरात्रि, पूर्णिमा, और अमावस्या के दिन विशेष प्रभावशाली हैं।
प्रश्न 2: क्या विंध्यवासिनी स्तोत्र किसी विशेष स्थिति में ही पढ़ना चाहिए?
उत्तर: नहीं, इसे किसी भी समय पढ़ा जा सकता है, विशेष रूप से जब मानसिक तनाव, भय, या कोई बाधा हो।
प्रश्न 3: क्या स्त्रियाँ इस स्तोत्र का पाठ कर सकती हैं?
उत्तर: हाँ, यह स्तोत्र सभी के लिए है – स्त्री, पुरुष, बालक या वृद्ध – कोई भी श्रद्धा से पाठ कर सकता है।
प्रश्न 4: क्या पाठ के लिए किसी विशेष विधि या नियम का पालन करना होता है?
उत्तर: पाठ से पूर्व स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें, शांत वातावरण में बैठें और पूरी श्रद्धा से पाठ करें।
प्रश्न 5: विंध्यवासिनी स्तोत्र से क्या-क्या लाभ मिलते हैं?
उत्तर: इससे मानसिक शांति, भय से मुक्ति, कार्यों में सफलता, बाधा नाश, और देवी की कृपा से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।