प्रातः स्मरणम्
प्रातः स्मरणम् एक संस्कृत स्तोत्र है जिसे प्रतिदिन सुबह उठते ही भगवान का ध्यान करके पढ़ा जाता है। इसका शाब्दिक अर्थ है – “प्रभात में स्मरण किया जाने वाला”। यह स्तोत्र भगवान विष्णु, शिव, देवी, सूर्य या आत्मा के स्वरूप का ध्यान कर आत्मशुद्धि, जागरूकता और दिव्य ऊर्जा के साथ दिन की शुरुआत करने के लिए रचा गया है। इसका मूल उद्देश्य यह है कि मनुष्य दिन की शुरुआत किसी पवित्र विचार, सकारात्मक ऊर्जा और कृतज्ञता के भाव के साथ करे। यह स्तोत्र आध्यात्मिक विकास, मानसिक शांति और एकाग्रता को बढ़ावा देता है।
श्रीविष्णोः प्रातःस्मरणम्
प्रातः स्मरामि भवभीतिमहार्त्तिशान्त्यै
नारायणं गरुडवाहनमब्जनाभम् ।
ग्राहाभिभूतवरवारणमुक्तिहेतुं
चक्रायुधं तरुणवारिजपत्रनेत्रम् ॥ १॥
प्रातर्नमामि मनसा वचसा च मूर्ध्ना
पादारविन्दयुगलं परमस्य पुंसः ।
नारायणस्य नरकार्णवतारणस्य
पारायणप्रवणविप्रपरायणस्य ॥ २॥
प्रातर्भजामि भजतामभयङ्करं तं
प्राक्सर्वजन्मकृतपापभयापहत्यै ।
यो ग्राहवक्त्रपतिताङ्घ्रिगजेन्द्रघोर-
शोकप्रणाशनकरो धृतशङ्खचक्रः ॥ ३॥
श्लोकत्रयमिदं पुण्यं प्रातः प्रातः पठेत्तु यः ।
लोकत्रयगुरुस्तस्मै दद्यादात्मपदं हरिः ॥ ४॥
॥ इति श्रीविष्णोः प्रातःस्मरणम् ॥