Neel Saraswati Stotram

नील सरस्वती स्तोत्र देवी सरस्वती के एक उग्र और शक्तिशाली रूप — नील सरस्वती या तारा देवी — की स्तुति है। इसका पाठ साधक को शत्रु बाधा, अज्ञानता और भय से मुक्ति दिलाता है। यह स्तोत्र बुद्धि, विद्या और स्मरण शक्ति को बढ़ाने में अत्यंत सहायक है। नील सरस्वती का पूजन विद्यार्थियों, साधकों और ज्ञान साधना करने वालों के लिए विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है। नियमित पाठ से मानसिक शांति और आत्मबल में अद्भुत वृद्धि होती है।

नीलसरस्वतीस्तोत्रम्

घोररूपे महारावे सर्वशत्रुभयङ्करि।
भक्तेभ्यो वरदे देवि त्राहि मां शरणागतम्॥

सुरासुरार्चिते देवि सिद्धगन्धर्वसेविते।
जाड्यपापहरे देवि त्राहि मां शरणागतम्॥

जटाजूटसमायुक्ते लोलजिह्वान्तकारिणि।
द्रुतबुद्धिकरे देवि त्राहि मां शरणागतम्॥

सौम्यक्रोधधरे रूपे चण्डमुण्डविनाशिनि।
सर्वरोगहरे देवि त्राहि मां शरणागतम्॥

भीमवेगे चण्डरूपे मुण्डजिह्वान्तभैरवि।
बाधाय नाशिने देवि त्राहि मां शरणागतम्॥

रक्तमाल्याम्बरधरे श्वेतमज्जसमन्विते।
शिरःकपालीनी देवि त्राहि मां शरणागतम्॥

चर्माम्बरधरां देवीं खड्गकाट्यधरां पराम्।
स्फटिकप्रभया युक्तां त्राहि मां शरणागतम्॥

अट्टहासे कोटिहासे घोररावे भयानके।
चामुण्डचेतसे देवि त्राहि मां शरणागतम्॥

अनेकशिरसां रुद्र्यां अनेकभुजसंयुते।
बहुरूपधरे देवि त्राहि मां शरणागतम्॥

महाकाली महारौद्रे महाशक्तिमहेश्वरी।
महोग्रचण्डघोरास्ये त्राहि मां शरणागतम्॥

त्रैलोक्यवासिनि देवि भूतप्रेतादिकप्रिये।
भूतदमनमाहात्म्ये त्राहि मां शरणागतम्॥

श्मशानवासिनी देवि महाभूतविनाशिनि।
जटा भूषणके देवि त्राहि मां शरणागतम्॥

दिगम्बरि स्फुरज्जिह्वे टंकाररवभैरवि।
महाकालि महादेवि त्राहि मां शरणागतम्॥

पञ्चप्रेतासनारूढे वीरज्वालोपशोभिते।
खड्गचर्मधरि देवि त्राहि मां शरणागतम्॥

रणदुन्दुभिनिर्घोषे रणमत्तभयङ्करि।
बटुकप्रियदे देवि त्राहि मां शरणागतम्॥

रक्तकेसि रक्षोमर्दिनि चण्डमुण्डविनाशिनि।
भूतदैत्यमर्दिनि त्राहि मां शरणागतम्॥

समाप्ति श्लोक:

नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।
नमः कालरात्र्यै च त्राहि मां शरणागतम्॥

॥ इति श्री नीलसरस्वतीस्तोत्रम् संपूर्णम् ॥

नील सरस्वती स्तोत्र का इतिहास क्या है?

नील सरस्वती, दस महाविद्याओं में से एक, देवी तारा का ही रूप हैं, जिन्हें ज्ञान, बुद्धि और तर्कशक्ति की देवी भी माना जाता है। पुराणों के अनुसार, जब संसार में अज्ञान और आसुरी शक्तियाँ हावी होने लगीं, तब देवी सरस्वती ने अपने नीलवर्णी उग्र रूप में प्रकट होकर इनका संहार किया। इस स्तोत्र का उद्देश्य देवी नील सरस्वती की स्तुति कर उनकी कृपा प्राप्त करना और सभी प्रकार के मानसिक, बौद्धिक एवं बाहरी संकटों से रक्षा करना है।

नील सरस्वती स्तोत्र पाठ का सबसे शुभ समय क्या है?

  • नील सरस्वती स्तोत्र का पाठ प्रतिदिन सुबह-संध्या या विशेष रूप से अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी तिथियों पर करना अत्यंत फलदायक होता है।
  • बसंत पंचमी और वासंतिक नवरात्रि के अवसर पर इसका जप करने से देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
  • अच्छे परिणामों के लिए पाठ के समय एकाग्रता और श्रद्धा का होना आवश्यक है।

नील सरस्वती स्तोत्र कौन कौन पढ़ सकता है?

इस स्तोत्र का पाठ कोई भी व्यक्ति कर सकता है जो विद्या, बुद्धि, तर्कशक्ति या मानसिक बल बढ़ाना चाहता हो। विद्यार्थी, साधक, शिक्षक, ज्योतिषी, लेखक और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे लोग विशेष लाभ पा सकते हैं। इसके लिए किसी विशेष अनुष्ठान या दीक्षा की आवश्यकता नहीं है — केवल सच्ची श्रद्धा और नियमबद्धता जरूरी है।

नील सरस्वती स्तोत्र पाठ के प्रमुख लाभ क्या है?

  • विद्या और स्मरण शक्ति में अद्भुत वृद्धि होती है।
  • शत्रु बाधाओं और मानसिक दुर्बलता से रक्षा मिलती है।
  • आत्मिक शुद्धि और आध्यात्मिक विकास में सहायता मिलती है।
  • धन, यश और समृद्धि में वृद्धि होती है।
  • संकटों और भय से मुक्ति मिलती है।

बीज मंत्र

  • ह्लीं
  • क्लीं
  • शं
  • श्रीं

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. प्रश्न: नील सरस्वती स्तोत्र क्या है?

उत्तर: नील सरस्वती स्तोत्र एक संस्कृत स्तोत्र है जो देवी नील सरस्वती के उग्र और ज्ञानदायिनी रूप का वरण करता है।

2. प्रश्न: नील सरस्वती स्तोत्र को पढ़ने के क्या लाभ हैं?

उत्तर: इसका पाठ करने से मानसिक शांति, विद्या में वृद्धि, स्मरण शक्ति में सुधार और शत्रु से रक्षा होती है।

3. प्रश्न: नील सरस्वती स्तोत्र पढ़ने का सबसे अच्छा समय क्या है?

उत्तर: इसका पाठ प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में या रात्रि के समय विशेष रूप से शुभ तिथियों जैसे अष्टमी, नवमी, या चतुर्दशी के दिन किया जाता है।

4. प्रश्न: कौन-कौन व्यक्ति नील सरस्वती स्तोत्र पढ़ सकते हैं?

उत्तर: यह स्तोत्र कोई भी व्यक्ति — पुरुष, महिला, विद्यार्थी या साधक — श्रद्धा और भक्ति से पढ़ सकता है, ताकि वह अपनी बुद्धि और विद्या में वृद्धि कर सके।

5. प्रश्न: नील सरस्वती स्तोत्र से जुड़े मुख्य बीज मंत्र कौन से हैं?

उत्तर: नील सरस्वती स्तोत्र से जुड़े मुख्य बीज मंत्र हैं:

  • ह्लीं (Hleem)
  • क्लीं (Kleem)
  • शं (Sham)
  • श्रीं (Shreem)